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जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल का सच : 36 साल के बाद प्रबंधन ने स्वीकारा, मानक के अनुरूप नहीं है अस्पताल

जमशेदपुर : हर साल करीब तीन लाख मरीजों का इलाज कराने वाले एमजीएम अस्पताल का भवन मानकों के अनुरूप नहीं है. स्थापना के करीब 36 साल बाद अस्पताल प्रबंधन को लगा कि एमजीएम अस्पताल लेटेस्ट हॉस्पिटल मैनेजमेंट के मानक पर खरा नहीं उतरता. हालांकि इस दौरान कई बार इसकी जांच की गयी. साल में औसतन […]

जमशेदपुर : हर साल करीब तीन लाख मरीजों का इलाज कराने वाले एमजीएम अस्पताल का भवन मानकों के अनुरूप नहीं है. स्थापना के करीब 36 साल बाद अस्पताल प्रबंधन को लगा कि एमजीएम अस्पताल लेटेस्ट हॉस्पिटल मैनेजमेंट के मानक पर खरा नहीं उतरता. हालांकि इस दौरान कई बार इसकी जांच की गयी.

साल में औसतन दो बार एमसीआइ की टीम भी अस्पताल की व्यवस्था और तय मानकों की जांच करती है. राज्य सरकार की ओर से भी जांच की जाती है. पर अस्पताल प्रबंधन ने 28 जनवरी को हुए मुख्यमंत्री की बैठक के लिए तैयार रिपोर्ट में कहा है, यह पुराना अनुमंडल अस्पताल का भवन है. भवन अस्पताल के मानकों के अनुरूप नहीं है.

इसके पुराने भवन के वार्ड छोटे-छोटे रूम में अलग-अलग बंटे हैं. ब्लड बैंक व पैथोलॉजी बिल्डिंग जर्जर है. मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अस्पताल को लेटेस्ट हॉस्पिटल मैनेजमेंट के मानक के अनुसार व्यवस्थित करना आवश्यक है.

एमजीएम के अधीक्षक डॉ एसएन झा ने प्रस्ताव दिया है कि भवन निर्माण विशेषज्ञ की सहायता लेकर अस्पताल को मानक के अनुरूप बहुमंजिला बनाया जाये और ब्लड बैंक व पैथोलॉजी को सही तरीके से व्यवस्थित की जाये. भवनों को ग्रिल, सेफ्टी युक्त रैंप, स्ट्रेचर सीढ़ी व लिफ्ट से जोड़ना होगा.
ओपीडी में कमरे बढ़ाने और इमरजेंसी को 50 बेड करने की जरूरत
अधीक्षक ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि एमसीआइ के मानक के अनुसार ओपीडी भवन के ग्राउंड फ्लोर में विभागों के कमरे काफी कम हैं. यहां बहुमंजिला भवन की जरूरत है, ताकि सभी ओपीडी को एक जगह किया जा सके. वर्तमान ओपीडी में शौचालय तक नहीं है. अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड सिर्फ 10 बेड के लिए बना है. मरीजों की संख्या के अनुसार इसे 50 बेड तक करने के साथ मॉड्यूलर आर्थो ऑपरेशन थियेटर व वातानुकूलित से लैस करने की आवश्यकता है.
मुख्यमंत्री की बैठक के लिए अधीक्षक ने स्वास्थ्य सचिव को दिया था पत्र
वार्ड छोटे-छोटे रूम में अलग-अलग बंटे हैं
पुराना अनुमंडल अस्पताल का भवन है एमजीएम अस्पताल
1983 से पहले था अनुमंडल अस्पताल
1983 में मेडिकल कॉलेज को शिफ्ट किया गया
हर साल अौसतन तीन लाख मरीजों का होता है इलाज
मैन पावर की भारी कमी
121 पद स्वीकृत हैं वरीय रेजिडेंट के, पर मात्र 18 ही कार्यरत
90 पद हैं जूनियर रेजिडेंट के, पर 62 ही हैं कार्यरत
78 पद हैं चिकित्सा पदाधिकारी के, पर 10 की ही पोस्टिंग
क्या-क्या है प्रस्ताव में
चिकित्सकों के लिए 50 व तृतीय व चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के लिए लगभग 150 आवास की जरूरत
महिला इंटर्न के लिए 50 सीट का छात्रावास और जूनियर डॉक्टर व पीजी के लिए 300 सीट का छात्रावास बनाने की जरूरत है.
एमसीआइ गाइडलाइन के अनुसार अस्पताल परिसर में फर्नीचर व समान से युक्त कैंटीन होना जरूरी है.

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