चंद्रयान मिशन-2 में झारखंड के जमशेदपुर का लाल भी
रॉकेट बनाने से लेकर प्रक्षेपण तक की थी जिम्मेदारी इसरो के लिए छोड़ी तीन कंपनियों की नौकरी मुकुंद ठाकुर का पहला प्रोजेक्ट था मंगलयान जमशेदपुर : भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रच दिया है. शुक्रवार व शनिवार की मध्य रात्रि चंद्रयान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा. चंद्रयान मिशन 2 को सफल बनाने में […]
रॉकेट बनाने से लेकर प्रक्षेपण तक की थी जिम्मेदारी
इसरो के लिए छोड़ी तीन कंपनियों की नौकरी
मुकुंद ठाकुर का पहला प्रोजेक्ट था मंगलयान
जमशेदपुर : भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रच दिया है. शुक्रवार व शनिवार की मध्य रात्रि चंद्रयान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा. चंद्रयान मिशन 2 को सफल बनाने में इसरो की पूरी टीम लगी है. इस टीम में जमशेदपुर (सिदगोड़ा 10 नंबर बस्ती, पदमा रोड) का मुकुंद ठाकुर भी शामिल है. मुकुंद की जिम्मेदारी सेटेलाइट कंपोनेंट की स्टडी, रॉकेट बनाने से पूर्व उसकी टेस्टिंग से लेकर उसके सफल प्रक्षेपण तक तकनीकी खराबी दूर करनी थी.
इससे पूर्व भी मुकुंद इसरो के मंगलयान प्रोजेक्ट में कार्य कर चुका है. मंगलयान उसका पहला प्रोजेक्ट था. बीटेक के दौरान मुकुंद का कैंपस सेलेक्शन हुआ था. उसे तीन मल्टीनेशनल कंपनियों से जॉब ऑफर मिले. लेकिन उसने यह ऑफर छोड़ 2010 में इसरो ज्वाइन किया.
चंद्रयान-2 की तैयारी में 24-24 घंटे तक किया काम
चांद पर चंद्रयान को भेजने के लिए इसरो की पूरी टीम लगी थी. मुकुंद के पिता श्रीराम ठाकुर ने बताया, जब से चंद्रयान मिशन की शुरुआत हुई है, तब से बेटे से ज्यादा बात नहीं हो सकी है. उसकी टीम कई दिनों तक 24-24 घंटे तक रॉकेट की टेस्टिंग करती रही. मुकुंद अब देश के काम आ रहा है, यह हमारे लिए गर्व है. मुकुंद को ट्रेनिंग के बाद आरआइएसएटी-1 का भी आंशिक रूप से हिस्सा बनने का मौका मिला. लेकिन मंगलयान प्रोजेक्ट में वह पूरी तरह शामिल रहा.
पिता टिनप्लेट के रिटायर्ड कर्मी : उसने स्कूली शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय से पूरी की. 2004 में को-ऑपरेटिव कॉलेज से 12वीं पास की. जलपाईगुड़ी से बीटेक किया. पिता श्रीराम ठाकुर टिनप्लेट में सिक्यूरिटी डिपार्टमेंट के रिटायर कर्मचारी हैं. मां मृदुला देवी गृहिणी हैं. शुक्रवार को जब पूरे देश व दुनिया की नजर चंद्रयान पर टिकी थी, उस वक्त वे हरिद्वार में इस मिशन के सफल होने की कामना कर रहे थे.