स्कूल विलय के खिलाफ वोट बहिष्कार करेंगे ग्रामीण

गम्हरिया : बिना भौतिक सत्यापन किये ही पदाधिकारियों द्वारा कार्यालय में बैठे स्कूल विलय का खाका तैयार करने का खामियाजा महताबेड़ा के करीब तीन दर्जन छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. गम्हरिया प्रखंड के डुमरा पंचायत अंतर्गत आने वाला उक्त गांव शायद राज्य का पहला अनोखा गांव बन गया है, जहां गांव के अंदर ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2019 7:46 AM

गम्हरिया : बिना भौतिक सत्यापन किये ही पदाधिकारियों द्वारा कार्यालय में बैठे स्कूल विलय का खाका तैयार करने का खामियाजा महताबेड़ा के करीब तीन दर्जन छात्रों को भुगतना पड़ रहा है. गम्हरिया प्रखंड के डुमरा पंचायत अंतर्गत आने वाला उक्त गांव शायद राज्य का पहला अनोखा गांव बन गया है, जहां गांव के अंदर ही दो प्राथमिक विद्यालय का संचालन हो रहा है.

एक स्कूल गम्हरिया प्रखंड व दूसरा स्कूल का देखरेख सरायकेला प्रखंड से किया जाता है. गम्हरिया प्रखंड क्षेत्र में सरायकेला प्रखंड के नाम से स्कूल का संचालन होना स्थानीय ग्रामीणों के साथ -साथ पंचायत के जनप्रतिनियों के लिए अनबूझ पहेली बन गयी है.
विभागीय लापरवाही की वजह से अप्रैल 2018 में गम्हरिया प्रखंड से संचालन हो रहे स्कूल का विलय गांव में ही सरायकेला प्रखंड के नाम से संचालित हो रही स्कूल में कर दिया गया. गलत ढंग से स्कूल का विलय किये जाने का विरोध किया गया और ग्रामीणों द्वारा स्कूल का संचालन पूर्ववत ढंग से किया जाने लगा. इससे आक्रोशित विभागीय पदाधिकारियों ने गम्हरिया प्रखंड से संचालित होने वाले स्कूल को 17 माह से एमडीएम समेत सभी सरकारी सुविधा से वंचित रखा गया है.
17 माह बाद भी ग्रामीणों का आंदोलन समाप्त नहीं होते देख अब जबरन उक्त स्कूल को बंद करने व बच्चों को सरायकेला प्रखंड से संचालित स्कूल में शिफ्ट होने का दबाव बनाया जा रहा है. पदाधिकारियों के उक्त रवैया से ग्रामीणों में आक्रोश है. साथ ही स्कूल विलय के खिलाफ विधानसभा चुनाव का सामूहिक बहिष्कार करने की चेतावनी दी गयी.
गांव में पदाधिकारियों को घुसने नहीं देने का निर्णय. मामले को लेकर रविवार को ग्रामीणों की बैठक माझीबाबा बुद्धेश्वर टुडू की अध्यक्षता में हुई. इसमें विभाग द्वारा ग्रामीणों के साथ किये जा रहे सौतेले व्यवहार पर आक्रोश प्रकट किया गया.
साथ ही सरायकेला प्रखंड में किये गये विलय पर रोक नहीं लगाये जाने पर प्रखंड के किसी भी पदाधिकारी को गांव में घुसने नहीं देने का निर्णय लिया गया. श्री टुडू ने कहा कि जब ग्रामीणों को सभी प्रकार के सरकारी योजनाओं का लाभ गम्हरिया प्रखंड से मिलता है, तो फिर स्कूल का संचालन किस आधार पर सरायकेला प्रखंड से होगा.
अब जब अधिकारियों को अपनी गलती का एहसास हो रहा है, तो स्कूल बंद करने का दबाव देते हुए बच्चों को सरकारी लाभ से वंचित रखा जा रहा है. मामले के विरोध में ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर आक्रोश जताया गया. बैठक में रूपाय टुडू, लछु मुर्मू, गोंदा मुर्मू, बाबूलाल मुर्मू, गोविंद मुर्मू, छाकू मुर्मू, राधिका देवी, तुलसी देवी, तरुणा देवी, साल्गे टुडू, थूपी देवी, पार्वती टुडू समेत काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.
विलय के खिलाफ अनशन करेंगे पंसस राम हांसदा. पदाधिकारियों की गलती का खामियाजा भुगत रहे बच्चों को न्याय दिलाने के लिए दुग्धा पंचायत के पंसस राम हांसदा द्वारा दुर्गापूजा के बाद प्रखंड मुख्यालय के समक्ष अनशन किया जायेगा.
उनके साथ-साथ स्कूल के सभी माता-पिता अभिभावक व बच्चे भी अनशन में शामिल होकर न्याय की गुहार लगायेंगे. मामले को लेकर ग्रामीण सोमवार को उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर इसकी जानकारी देंगे. साथ ही एक बार भौतिक सत्यापन कर विलय से संबंधित पुनर्विचार करने की मांग करेंगे.
चंदे पर चला रहा एमडीएम, चार माह से नहीं मिला वेतन
17 माह से सरकार द्वारा एमडीएम की व्यवस्था बंद कर दिये जाने के बाद ग्रामीण निजी स्तर पर चंदा जुटाकर स्कूल में एमडीएम की व्यवस्था कर रहे हैं. ग्राम प्रधान श्री टुडू ने बताया कि सरकारी उदासीनता के कारण बच्चों का पठन-पाठन प्रभावित नहीं हो, इसे देखते हुए ग्रामीण पिछले नौ माह से घर-घर चंदा एकत्रित कर एमडीएम व्यवस्था को सुचारु रखा गया है.
स्कूल के शिक्षकों द्वारा प्रतिमाह अपना एबसेंटी गम्हरिया प्रखंड में ही जमा किया जा रहा है. चार माह से स्कूल के शिक्षिकाओं का मानदेय बंद कर दिया गया है. वहीं मासिक गुरु गोष्ठी में भी शामिल होने नहीं दिया जा रहा है.

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