जमशेदपुर : सिकल सेल बीमारी का इलाज करने आयेंगे अमेरिकी डॉक्टर

जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन डॉ प्रेम भंडारी ने झारखंड सरकार से पहल करने का किया आह्वान जमशेदपुर : छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, अोड़िशा, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल व पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी समुदाय के लोगों में मुख्य रूप से होनेवाली सिकल सेल बीमारी का इलाज भारत में ही हो सकता है. इसके लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 12, 2019 5:52 AM

जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन डॉ प्रेम भंडारी ने झारखंड सरकार से पहल करने का किया आह्वान

जमशेदपुर : छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, अोड़िशा, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल व पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी समुदाय के लोगों में मुख्य रूप से होनेवाली सिकल सेल बीमारी का इलाज भारत में ही हो सकता है. इसके लिए खास तौर पर न्यूयॉर्क के स्लोन कैथ्रिन हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम झारखंड आकर यहां डॉक्टरों को ट्रेनिंग देगी.

उनके साथ हावार्ड के कई एक्सपर्ट भी रहेंगे. जयपुर फुट यूएसए के चेयरमैन डॉ प्रेम भंडारी ने यह बात शुक्रवार को कही. उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार सकारात्मक रुख दिखाती है, तो झारखंड के आदिवासियों को सिकल सेल रोग से निजात दिलायी जा सकती है. डॉ भंडारी ने कहा कि मनोहर पर्रीकर, नरगिस दत्त, सोनिया गांधी, राजकपूर, टीएन शेषण जैसे दिग्गजों का इलाज करनेवाले अमेरिकी डॉक्टर झारखंड आने को तैयार हैं, बस इंतजार है, तो सरकार की अोर से प्रस्ताव तैयार कर देने का.

डॉ भंडारी ने कहा कि बुढ़ापे में लोगों में शरीर में दर्द की शिकायत होती है. इस बीमारी के सफल इलाज के लिए भी नि:शुल्क कैंप लगाया जायेगा. झारखंड के डॉक्टरों को विशेष तौर पर ट्रेनिंग भी दी जायेगी. कैंप में शामिल होने के लिए डॉ सुभाष जैन व डॉ रेखा भंडारी झारखंड पहुंचेंगे. हालांकि उक्त कैंप की तिथि अभी निर्धारित नहीं की गयी है.

क्या है सिकल सेल बीमारी : सिकल सेल एनीमिया का कोई इलाज मौजूद नहीं है. हालांकि उपचार से लक्षण और रोग की जटिलता को कम किया जा सकता है.

इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाएं, अस्थि-मज्जा में बनती हैं और इनकी औसत आयु 120 दिन होती है. सिकल सेल में लाल रक्त कोशिकाएं का जीवन काल केवल 10-20 दिनों का होता है और अस्थि मज्जा उन्हें तेजी से पर्याप्त मात्रा में बदल नहीं पाती हैं. नतीजन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या और हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है. इससे पीड़ित की धीरे-धीरे मौत हो जाती है.

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