हैप्पी बर्थ डे टू यू रजनी : 10 साल की हो गयी दलमा की हथिनी रजनी, 20 पौंड का केक काटा गया

जमशेदपुर : दलमा वन्य अभ्यारण्य के मकुलाकोचा गेस्ट हाउस का नजारा शनिवार को दर्शनीय था. गेस्ट हाउस को बैलून से सजाया गया था. टेबल पर 20 पौंड का बड़ा सा एक केक रखा गया था. जिस प्रकार की तैयारियां की गयी थी, इससे यह अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता था कि किसी का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 13, 2019 8:23 AM

जमशेदपुर : दलमा वन्य अभ्यारण्य के मकुलाकोचा गेस्ट हाउस का नजारा शनिवार को दर्शनीय था. गेस्ट हाउस को बैलून से सजाया गया था. टेबल पर 20 पौंड का बड़ा सा एक केक रखा गया था. जिस प्रकार की तैयारियां की गयी थी, इससे यह अंदाजा तो आसानी से लगाया जा सकता था कि किसी का जन्म दिन मनाया जाने वाला है, लेकिन जब केक काटने की बारी आयी, तो केक काटने के लिए चाकू के स्थान पर तलवार था अौर केक काटने वाला इंसान नहीं बल्कि हथिनी थी. नाम है रजनी.

वह रजनी, जो दलमा के वन्य अधिकारियों के साथ ही आस-पास के क्षेत्र के स्कूली बच्चों की भी अपने व्यवहार की वजह से चहेती है. शनिवार को रजनी (हथिनी) का 10वां जन्मदिन मनाया गया.
इसमें दलमा क्षेत्र के रामगढ़, आसनबनी, शहरबेड़ा, चिलगू, नूतनडीह, पातीपानी, चाकुलिया, भादुडीह आदि स्कूलों के 500 से अधिक बच्चों ने हिस्सा लिया. बच्चों ने ताली बजाकर हैपी बर्थ डे टू यू रजनी गाकर रजनी के अौर दीर्घायु होने की कामना की. इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मुख्य वन संरक्षक एसके सुमन उपस्थित थे.
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से बच्चों के साथ ही लोगों में वन्य प्राणियों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी. इस मौके पर एसके सुमन, डीएफओ चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा, रेंज अफसर आरपी सिंह और रेंज अफसर दिनेश चंद्रा समेत अन्य लोगों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाले 63 बच्चे, चार शिक्षक और पशु चिकित्सक आरपी सिंह व सुरेंद्र सिंह को सम्मानित किया गया.
रजनी को खिलाने के साथ मस्तक पर भी लगाया केक. रजनी को केक खिलाने के बाद कुछ बच्चों ने उसके मस्तक पर भी केक लगाया. इसके बाद बच्चों के बीच केक का वितरण किया गया. बच्चों को वन विभाग की अोर से उपहार भी दिया गया. इस दौरान बच्चों ने रजनी के साथ कई एक्शन फोटो खिंचवाये.
कौन है रजनी
रजनी मादा हाथी है. आज से ठीक 10 वर्ष पहले दलमा जंगल में गड्ढे में गिर कर अपने झुंड से बिछड़ गयी थी. उसे टाटा जू में इलाज कराने के बाद समूह में वापस लाने के लिए रजनी को दलमा वन्य अभ्यारण मे छोड़ा भी गया, लेकिन समूह ने रजनी को शामिल नहीं किया.
उसके बाद से रजनी को दलमा जाने के रास्ते में मकूलाकोचा के पास रखा जाने लगा. वहां वह अपने दोस्त चंपा के साथ रहती है. वह अपने व्यवहार से वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों के अलावा यहां आने वाले सैलानियों की चहेती बन गयी है.

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