तीन माह से वेतन नहीं मिलने के कारण सीनियर रेजिडेंट तीन दिन की हड़ताल पर
जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल में कार्यरत लगभग 40 सीनियर रेजिडेंट सोमवार को तीन माह से वेतन नहीं मिलने के विरोध में तीन दिवसीय पेन डाउन हड़ताल पर चले गये. सोमवार को इन लोगों ने ओपीडी व इनडोर में ड्यूटी नहीं की. वहीं इस संबंध में अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ नकुल चौधरी से मिलकर एक ज्ञापन […]
जमशेदपुर : एमजीएम अस्पताल में कार्यरत लगभग 40 सीनियर रेजिडेंट सोमवार को तीन माह से वेतन नहीं मिलने के विरोध में तीन दिवसीय पेन डाउन हड़ताल पर चले गये.
सोमवार को इन लोगों ने ओपीडी व इनडोर में ड्यूटी नहीं की. वहीं इस संबंध में अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ नकुल चौधरी से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कहा गया है कि तीन दिनों के अंदर अगर वेतन नहीं मिलता है, तो वे इमरजेंसी व ओटी में भी काम नहीं करेंगे. वहीं सीनियर रेजिडेंट के हड़ताल पर जाने के कारण इसका असर ओपीडी व इनडोर में देखने को मिला. अस्पताल में सौ से ज्यादा मरीज बिना इलाज कराये वापस चले गये. वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि सोमवार को भीड़ अधिक होने के कारण सभी मरीजों का इलाज नहीं हुआ. शेष मरीजों को शाम में बुलाया गया है.
बढ़े वेतन पर एमजीएम अस्पताल में हुई थी नियुक्ति : सीनियर रेजिडेंट. सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने कहा कि तीन माह पूर्व बढ़े वेतन देने का आश्वासन देते हुए उनकी नियुक्ति एमजीएम अस्पताल में की गयी.
वहीं पहले माह जब वेतन नहीं मिला, तो डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल व स्वास्थ्य विभाग के वरीय पदाधिकारियों से भी मिलकर अपनी समस्याओं को रखा. इसके बाद तीन माह बीत जाने के बाद भी वेतन नहीं मिला. डॉक्टरों के अनुसार जब वे लोग रांची स्थित रिम्स में पढ़ाई कर रहे थे, तो उन्हें 80 हजार रुपये मिलता था, लेकिन एमजीएम अस्पताल में सीनियर रेजिडेंट बनाकर भेजा गया, तो उन्हें सिर्फ 60 हजार रुपये वेतन मिल रहा है. उन लोगों ने कहा कि बिहार, बंगाल सहित अन्य प्रदेशों में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों का वेतन 80 हजार रुपये से अधिक है.
मरीजों ने किया हंगामा. इधर अस्पताल में दूर दराज से इलाज कराने आये मरीजों ने जब इलाज की पर्ची बनवा कर किसी तरह ओपीडी पहुंचे, तो वहां भी लंबी लाइन थी. वहीं ओपीडी में इलाज कर रहे डॉक्टरों का समय होने पर वे लोग उठकर चले गये, तो कई मरीजों को इलाज नहीं हो सका. उसके बाद वहां लाइन में लगे मरीजों ने हंगामा किया. इसकी जानकारी मिलने पर होमगार्ड के जवानों ने आकर किसी तरह मामले को शांत कराया.