छात्राओं ने एक स्वर में की मांग- दुष्कर्म के दोषी बख्शे ना जाएं, बनाया जाए कठोर कानून
अमिताभ कुमार/पंकज पाठक की रिपोर्टदेश में महिला विरोधी अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. रोज दुष्कर्म की घटनाएं आम हो गयीं हैं. गुरुवार सुबह भी उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक दुष्कर्म पीडिता के ऊपर पेट्रोल डालकर जलाने की कोशिश की गयी. ऐसी हैवानियत की खबरें मीडिया में हमें प्रतिदिन नजर आ जातीं […]
अमिताभ कुमार/पंकज पाठक की रिपोर्ट
देश में महिला विरोधी अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. रोज दुष्कर्म की घटनाएं आम हो गयीं हैं. गुरुवार सुबह भी उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक दुष्कर्म पीडिता के ऊपर पेट्रोल डालकर जलाने की कोशिश की गयी. ऐसी हैवानियत की खबरें मीडिया में हमें प्रतिदिन नजर आ जातीं हैं लेकिन अब इस मामले को लेकर लड़कियां खुलकर सामने आ गयीं हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कठोर कानून बनाने की मांग कर रहीं हैं.
पिछले दिनों पीएम मोदी की रैली झारखंड के जमशेदपुर में हुई. यहां के गोपाल मैदान में हो रही रैली में कुछ छात्राएं पहुंची जो हाथों में बैनर पकड़े नजर आ रहीं थीं. इस बैनर में लिखा था जिस तरह आपने कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने का फैसला लिया…वो भी एक दिन में…यह हमारे लिए वरदान था… आगे बैनर में लिखा था कि कृपया महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए कठोर कानून बनाए जाएं, जिससे दुष्कर्म के मामले में दोषी पाये गये शख्स को कठोर सजा मिले और दया नाम की चीज कानून में न रहे.
प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम जब इन लड़कियों से मिलने पहुंचीं तो उन्होंने एक स्वर में कहा कि हम मोदी जी का विरोध नहीं कर रहीं हैं. हमारी उनसे मांग है कि आर्टिकल-370 पर जैसे रातों-रात फैसला लिया गया वैसे ही दुष्कर्म पर कठोर कानून जल्द से जल्द बनाने की जरूरत है. इस मुद्दे पर बात करते हुए एक छात्रा ने कहा कि कुछ ऐसा कानून बनाने की जरूरत है जिससे अपराधी दुष्कर्म करने से पहले सोचे…उसकी रुह कांप जाए. अभी केवल कैंडल मार्च निकाला जाता है जिसका कोई प्रभाव समाज में पड़ता नजर नहीं आ रहा है. परिजन लड़कियों पर ही अंकुश लगाते हैं. वे कहते हैं कि लड़कियां 8 बजे शाम के बाद नहीं निकलेंगी…लड़के निकल सकते हैं…लड़कियां नहीं…यह कहां का नियम है. सिर्फ लड़कियों को समझाएंगे…लड़कों को नहीं…
जब हमने इन लड़कियों से सवाल किया कि क्या आपको लगता है कि कड़े कानून बनाने से दुष्कर्म की घटनाएं कम हो जाएंगी ? तो सबने एक ही साथ जवाब दिया हां…इनका तर्क था कि जैसे यातायात के नियम बने और कठोर नियम सितंबर के महीने से लागू किया गया. इसके बाद सब हेलमेट पहनकर निकलने लगे…बाइक चलाने वालों के मन में डर बैठ गया कि बिना हेलमेट पहने निकले तो भारी चालान भरना पड़ेगा…दुष्कर्म को लेकर कठोर कानून बनने से अपराधी के मन में भय तो जरूर बैठ जाएगा और वो अपराध करने से पहले सौ बार सोचेगा.
एक अन्य छात्रा जो ग्रामीण परिवेश से संबंध रखतीं हैं उसने कहा कि बड़े शहरों में दुष्कर्म की घटनाएं होतीं हैं…वो अखबारों में आ जाता है लेकिन गांव में कई ऐसी घटनाएं होतीं हैं जो किसी के कानों तक भी नहीं पहुंचती है. ऐसी महिलाओं के लिए हमें आगे आने की जरूरत है…कई देशों में दुष्कर्म के आरोपी को मौत की सजा दी जाती है. भारत में भी ऐसे कठोर कानून बनाने की जरूरत है. दिल्ली के निर्भया केस की घटना की याद ताजा करते हुए एक छात्रा ने कहा कि इस वक्त लोगों में आक्रोश था…फास्ट ट्रैक कोर्ट बने लेकिन उसक नतीजा क्या हुआ आपके सामने है.