जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा : जानें, कहां से निकला सरयू राय की जीत का रास्ता

नीरज मिश्राभाजपा में रहते हुए सरयू राय ने निर्दलीय बनकर दी करारी शिकस्तजमशेदपुर : झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रदेश समेत पूरे देश में चर्चा का केंद्र बिंदु रही जमशेदपुर पूर्वी सीट पर आखिरकार भाजपा हार गयी. यहां पर भाजपा की सीधी लड़ाई भाजपा से ही थी. भाजपा से एक तरफ प्रदेश के मुखिया रघुवर दास, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2019 10:14 AM

नीरज मिश्रा
भाजपा में रहते हुए सरयू राय ने निर्दलीय बनकर दी करारी शिकस्त
जमशेदपुर :
झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रदेश समेत पूरे देश में चर्चा का केंद्र बिंदु रही जमशेदपुर पूर्वी सीट पर आखिरकार भाजपा हार गयी. यहां पर भाजपा की सीधी लड़ाई भाजपा से ही थी. भाजपा से एक तरफ प्रदेश के मुखिया रघुवर दास, तो दूसरी तरफ भाजपा छोड़‍ मैदान में उतरे कबीना मंत्री रहे सरयू राय. दोनों भाजपाई. अटूट भाजपाई. बस फर्क इतना था कि दोनों एक-दूसरे के खिलाफ. दोनों का अपना-अपना व्यक्तित्व, विचारधारा और चरम पर विरोध. वह भी खुला और चर्चित. किसी से कुछ छिपा नहीं. यही नहीं मतदान से पहले चार दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जमशेदपुर में अपने भाषण के दौरान कहना पड़ा कि मोदी वहीं हैं, जहां कमल का निशान है, जो भाजपा के साथ हैं, उनके साथ मोदी है. कहीं कोई भ्रम नहीं है. सिर्फ कमल निशान के साथ ही मोदी है.

इस खींचतान में फंसे थे, तो सिर्फ भाजपा कार्यकर्ता और मतदाता. उन्हें तय करना था कि वे कौन से भाजपाई (व्यक्तित्व) के साथ जायेंगे (मतदान के बाद सरयू राय को पार्टी से निकला गया). और अंत में कार्यकर्ताओं ने सरयू की जीत की पटकथा लिख दी. इस चुनाव में सरयू राय को 73,945 मत (42.59%), तो मुख्यमंत्री और बीजेपी के उम्मीदवार रघुवर दास को महज 58,112 वोट (33.47%) मिले. रघुवर 1995 से यहां से चुनाव जीत रहे थे और इस बार उनकी नजर छठी जीत पर थी, लेकिन वह जीत के रिकॉर्ड को कायम नहीं रख सके. अगर 2014 के चुनाव की बात करें, तो रघुवर दास ने जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से 1,03,427 मत हासिल किये थे. उनके खिलाफ मैदान में उतरे कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे को 33,270 वोट मिले. इस तरह से रघुवर दास ने 70,157 मतों से बड़ी जीत हासिल की थी.

रघुवर दास के कम हो गये 45 हजार वोट : आंकड़ों पर गौर करें, तो पता चलेगा कि जमशेदपुर पूर्वी में 2014 के विधानसभा चुनाव में रघुवर दास को 1,03,427 मत, जबकि इस बार 58,112 मत मिले हैं. मतलब साफ है कि पांच वर्षों के कार्यकाल में उनके 45,315 मत कम हो गये. यही नहीं कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रो गौरव वल्लभ को भी 2014 के कांग्रेस प्रत्याशी आनंद बिहारी दुबे से 14,294 मत कम मिले, जबकि इस बार उन्हें झामुमो का भी समर्थन था. पिछले चुनाव में झामुमो के टिकट पर कमलजीत कौर गिल चुनाव लड़ीं थी और उन्हें 3,987 मत मिले थे. झाविमो के घटे नाै हजार मत : झाविमो से चुनाव लड़े पार्टी के केंद्रीय महासचिव अभय सिंह को भी इस बार 9043 से अधिक मतों का नुकसान हुआ. 2014 के चुनाव में उन्हें 20815 मत मिले थे और इस बार 11,772 मत ही मिले. सीधे तौर पर इसका फायदा निर्दलीय प्रत्याशी सरयू राय को हुआ.

पूर्वी विधानसभा के 15 प्रत्याशियों को 1000 से भी कम मत मिले

पूर्वी विधानसभा से इस बार 20 प्रत्याशी मैदान में थे, जिसमें से 15 प्रत्याशियों को 1000 से कम मत मिले. जबकि यहां पर कोल्हान के अन्य विधानसभा क्षेत्रों की अपेक्षा नोटा में भी कम वोट मिले. यहां पर 1211 मत नोटा पर पड़े, जबकि 2014 में नोटा का आंकड़ा 1211 था.

ऐसे समझें वोटों का अंतर

पार्टी —-2014 —-2019 —अंतर

भाजपा—- 1,03,427—– 58,112—- 45,315

कांग्रेस —-33,270 —-18,976 —-14,294

जेवीएम —-20815 —-11,772 —- 9043

झामुमो —-3,987 —- 0000 —–0000

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