टंकी निर्माण में बाधा बन रहे कुछ लोग, दो वार्ड को मिलेगा पानी

आदित्यपुर : शहर में शुरू की गयी वृहत जलापूर्ति योजना के तहत वार्ड संख्या 10 व 11 में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए टंकी के निर्माण कुछ लोग बाधा बन रहे हैं. इस 16 लाख लीटर पानी क्षमता वाली व 25 मीटर ऊंची इस टंकी के निर्माण के लिए भाटिया स्थित पहाड़ी पर अनाबाद झारखंड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2019 6:06 AM

आदित्यपुर : शहर में शुरू की गयी वृहत जलापूर्ति योजना के तहत वार्ड संख्या 10 व 11 में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए टंकी के निर्माण कुछ लोग बाधा बन रहे हैं. इस 16 लाख लीटर पानी क्षमता वाली व 25 मीटर ऊंची इस टंकी के निर्माण के लिए भाटिया स्थित पहाड़ी पर अनाबाद झारखंड सरकार की जमीन को चिह्नित किया गया.

जुडको के लोग जब यहां सर्वेक्षण के लिए जाने लगे तब कुछ लोगों ने निर्माण के लिए चयनित स्थल पर चबूतरा का निर्माण शुरू कर दिया है. इसकी शिकायत आदित्यपुर नगर निगम के नगर आयुक्त शशिधर मंडल से की गयी. उन्होंने जुडको के अधिकारियों को इस मामले में रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया, ताकि आश्यकता पड़ने पर टंकी के निर्माण में जिला प्रशासन की मदद ली जा सके.
पहले ही मंदिर के कारण स्थान बदला : जुडको के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार पहाड़ी के तीन अस्थायी मंदिरों के कारण टंकी निर्माण के लिए पहले ही स्थान बदलना पड़ा. दूसरी ओर सामुदायिक भवन के लिए जमीन रखी गयी है और एक तरफ रैयती जमीन है.
इन सभी को देखते हुए पहाड़ी के ढ़लान पर टंकी के लिए स्थल चिह्नित करते हुए सीमांकन किया गया. इसके लिए स्थानीय पार्षद व जनता की सहमति भी मिल गयी, लेकिन अब आशंका है कि मंदिरों का दायरा बढ़ाते हुए नयी जगह पर चबूतरे का निर्माण किया जा रहा है, ताकि मंदिर के नाम पर उस जगह पर भी टंकी नहीं बन सके.
148 पेड़ काटने की मिली अनुमति
पहाड़ी पर जहां पानी की टंकी का निर्माण होना है, वहां छोटे-बड़े कुल 148 पेड़ हैं. उन्हें काटने की अनुमति वन विभाग से मिल गयी है. विभाग के डीएफओ ने पूछा है कि इस दौरान कितने पेड़ बचाये जा सकते हैं इस पर ध्यान दिया जाय. यहां टंकी की चहारदीवारी बनाने में करीब 18 पेड़ बचाये जा सकते हैं.
साथ ही कई छोटे पेड़ों को निकालकर अन्यत्र लगाया जायेगा. सभी पेड़ों पर संख्या लिखकर उनकी गिनती की गयी है. काटे गये पेड़ों को वन विभाग के कांड्रा स्थित डिपो में जमा किया जायेगा. पेड़ों को हटाने में करीब दो माह का समय लगेगा. इस बीच चबुतरा निर्माण नहीं रोका गया तो वहां एक मंदिर का ढांचा तैयार हो जायेगा.

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