अमेरिका में CAA-NRC का विरोध करने वालों को Jharkhand की शशि ने दिया मुंहतोड़ जवाब
विकास कुमार श्रीवास्तव जमशेदपुर : अमेरिका में भारत के एक कानून का विरोध करना महाराष्ट्र की रहने वाली महिला को भारी पड़ गया. झारखंड की शशि सिंह ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) के खिलाफ लाये गये प्रस्ताव की बखिया उधेड़ दी. अमेरिका के सिएटल के स्थानीय काउंसिल में भारतीय मूल […]
विकास कुमार श्रीवास्तव
जमशेदपुर : अमेरिका में भारत के एक कानून का विरोध करना महाराष्ट्र की रहने वाली महिला को भारी पड़ गया. झारखंड की शशि सिंह ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) के खिलाफ लाये गये प्रस्ताव की बखिया उधेड़ दी. अमेरिका के सिएटल के स्थानीय काउंसिल में भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक क्षमा सावंत ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया. शशि सिंह को जब इसके बारे में मालूम हुआ, तो वह प्रस्ताव का विरोध करने के लिए स्थानीय काउंसिल में पहुंच गयीं.
जमशेदपुर के सिदगोड़ा बागान एरिया की रहने वाली शशि सिंह को सिएटल शहर के करीब 200 भारतीय मूल के लोगों का समर्थन मिला और सभी लोगों ने एक स्वर में क्षमा सावंत के प्रस्ताव का विरोध किया. महज एक मिनट में शशि ने क्षमा के तमाम दावों की हवा निकाल दी. झारखंड की इस बेटी ने काउंसिल को समझा दिया कि किस तरह उसे गुमराह किया जा रहा है. शशि ने लोगों को बता दिया कि संशोधित नागरिकता कानून से किसी को नुकसान नहीं है. यह कानून भारत के तीन पड़ोसी देशों के शोषितों-पीड़ितों को कानूनी मान्यता देता है.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि इस विषय पर काउंसिल ने 30 लोगों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया. इसमें शशि कुमारी सिंह भी शामिल थीं. महज एक मिनट में उन्होंने क्षमा के तमाम विरोध को धराशायी कर दिया और दुनिया को इस कानून का मकसद भी बता दिया. शशि वर्ष 2017 से अपने पति के साथ वाशिंगटन के सिएटल शहर में रह रही हैं. उनके पति विनय कुमार सिंह एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं. शशि ने जमशेदपुर वीमेंस कॉलेज से एमबीए की डिग्री ली है.
ज्ञात हो कि अमेरिका के किसी भी शहर में एक स्थानीय काउंसिल होता है. उस काउंसिल में स्थानीय मुद्दों व समस्याओं पर चर्चा होती है. समस्या के निदान पर बातचीत होती है. यह पहला मौका था, जब भारत के संसद में पारित किसी कानून के पक्ष या विरोध में ऐसी चर्चा हुई. शहर में रहने वाले भारतीयों को जब मालूम हुआ कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया है, तो सभी एकजुट होकर काउंसिल में पहुंचे. काउंसिल का नियम है कि जो पहले आयेगा, उसे अपनी बात रखने का मौका मिलेगा. इसलिए शशि सिंह समेत सभी 200 लोग 3 फरवरी, 2020 की सुबह 5 बजे ही काउंसिल हॉल पहुंच गये. सभी के हाथ में स्लोगन लिखी तख्तियां थीं. इन्हें अपनी बात रखने के लिए आठ घंटे इंतजार करना पड़ा. सुबह पांच गये पहुंचीं शशि को दोपहर 1:30 बजे बोलने का अवसर मिला.