सरकारी शिक्षकों के वेतन निर्धारण में घोटाला
जमशेदपुर: जिले के कई सरकारी शिक्षकों के वेतन निर्धारण में गड़बड़ी की बातें सामने आयी हैं. उन्हें वर्षो से बढ़ा हुआ वेतनमान दिया जा रहा था, जबकि वे उसके हकदार नहीं थे. इस बात का खुलासा स्पेशल ऑडिटर की जांच से हुआ है. जिले में 1400 सरकारी स्कूलों में करीब 150 शिक्षक ऐसे पाये गये […]
जमशेदपुर: जिले के कई सरकारी शिक्षकों के वेतन निर्धारण में गड़बड़ी की बातें सामने आयी हैं. उन्हें वर्षो से बढ़ा हुआ वेतनमान दिया जा रहा था, जबकि वे उसके हकदार नहीं थे. इस बात का खुलासा स्पेशल ऑडिटर की जांच से हुआ है.
जिले में 1400 सरकारी स्कूलों में करीब 150 शिक्षक ऐसे पाये गये हैं, जो पिछले 20 साल से गलत तरीके से बढ़ा हुआ वेतन पा रहे थे. ऐसे शिक्षकों की जानकारी डीएसइ ऑफिस को दी गयी है. साथ ही उन शिक्षकों से सरकार की ओर से दिये गये वेतन की रिकवरी का भी आदेश दिया गया है.
जांच कर रही थी स्पेशल ऑडिटर की टीम : पिछले दो महीने से जिले में स्पेशल ऑडिटर की दो सदस्यीय टीम शिक्षकों के वेतन निर्धारण की जांच कर रही थी. इस दौरान शिक्षकों की सेवा पुस्तिका के साथ-साथ उनके कई दस्तावेजों की जांच की जा रही थी. इस संबंध में तैयार जांच रिपोर्ट डीएसइ इंद्र भूषण सिंह के पास सौंप दी गयी है. स्पेशल ऑडिटर की टीम ने डीएसइ को कहा है कि आने वाले दिनों में उत्क्रमित शिक्षकों का वेतनमान तय करने से पूर्व उनकी सेवा पुस्तिका की जांच करें. इसके बाद ही वेतन निर्धारण पर मुहर लगायें.
पास नहीं, फिर भी मिल रहा है मैट्रिक प्रशिक्षित वेतनमान
ऑडिट में यह बात सामने आयी कि दो-तीन ऐसे भी शिक्षक हैं जो मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण हैं, लेकिन अब तक प्रशिक्षण परीक्षा पास नहीं कर पाये. फिर भी उन्हें मैट्रिक प्रशिक्षित वेतनमान दिया जा रहा है. कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं जिनकी नियुक्ति 1976 में 1500 रुपये वृत्तिका पर हुई थी. उन्हें 1 जून 1977 से मैट्रिक प्रशिक्षित वेतनमान दे दिया गया. फिर 12 वर्षो की सेवा पूरी होने के बाद वरीय वेतनमान 1400-2300 में वेतन निर्धारण नियुक्ति तिथि से करते हुए भुगतान किया गया. जो नियम के प्रतिकूल बताया गया है.
बीएससी शिक्षकों के वेतन निर्धारण में भी हो चुका है गोलमाल
जिले में बीएससी शिक्षकों के वेतन निर्धारण में पूर्व में गड़बड़ी हो चुकी है. जिले के करीब 142 विज्ञान शिक्षकों को गलत तरीके से वेतन निर्धारण किया गया था. इस मामले का खुलासा प्रभात खबर से किया था. इसके बाद मामला हाइकोर्ट पहुंचा और कई विभागीय कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई थी.