भुइयांडीह नदी कनारे बने कल्याण नगर, इंदिरा नगर एवं छाया नगर के 150 घर तोड़े जायेंगे
अंचल कार्यालय ने नोटिस देकर 20 तक मांगा जवाब, नदियों को बचाने के लिए एनजीटी, जल संसाधन विभाग व जिला प्रशासन ने तीन माह पूर्व किया था सर्वेक्षण
प्रमुख संवाददाता, जमशेदपुर
भुइयांडीह स्थित कल्याण नगर, इंदिरा नगर एवं छाया नगर सहित आस-पास के करीब 150 से अधिक घरों को तोड़े जाने के लिए अंचल कार्यालय द्वारा जेपीएलइ की नोटिस दी गयी है. छह जुलाई को जारी नोटिस में सभी को निर्देश दिया गया है कि वे 14 दिनों के अंदर अपने घरों को खाली कर दें. नोटिस में यह भी कहा गया कि 20 जुलाई तक वे जवाब दें कि क्यों नहीं उनके घरों को तोड़ा जाये. तीन-चार माह पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशानुसार जल संसाधन विभाग, मानगो नगर निगम, जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति और जिला प्रशासन का एक संयुक्त सर्वेक्षण हुआ था, जिसके बाद 150 घरों को चिह्नित कर उन्हें नोटिस दी गयी है. इसकी जानकारी मिलने पर विधायक सरयू राय ने शुक्रवार को संबंधित बस्तियों का दौरा कर लोगों को आश्वस्त किया कि वे किसी का घर नहीं टूटने देंगे.किसी का घर नहीं टूटने देंगे, बैठक कर एनजीटी से जानेंगे मसला, मामला विधानसभा में उठायेंगे : सरयू राय
विधायक सरयू राय ने कहा कि वे बस्तीवासियों के घरों को तोड़ने के संबंध में दी गयी नोटिस के मामले को सरकार के सक्षम प्राधिकार के समक्ष उठायेंगे. यहां रहनेवाले लोग आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से काफी कमजोर हैं. अपनी मेहनत की कमाई से घर बनाया है. जिस इलाके को चिह्नित कर नोटिस दी गयी है, वह 86 बस्ती के तहत हैं, जिन्हें 2005 में टाटा लीज समझौता के तहत लीज क्षेत्र से बाहर किया गया है. इनमें से कुछ आवास सरकारी भूखंड पर भी बने हैं. जमशेदपुर की तथाकथित 86 बस्तियों का मामला सरकार के एक नीतिगत निर्णय से आच्छादित है. यह नीतिगत निर्णय उन्हें अधिकार देता है कि वे अपने घरों का लीज सरकार से ले सकते हैं. विधायक सरयू राय ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों से बात कर उन्होंने कहा कि नोटिस में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अभाव है. वे एनजीटी से भी बात करेंगे. बैठक आयोजित कर नोटिस की विसंगतियों और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश की व्यावहारिकता पर विचार किया जाना जरूरी है. एनजीटी के समक्ष जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने किस तरह से अपना तथ्य प्रस्तुत किया है, इस पर विचार करना आवश्यक है. श्री राय ने कहा कि हम सभी नदियों के संरक्षण के पक्षधर हैं, परंतु एनजीटी के सामने विषय को पूर्णता में रखना आवश्यक है. इस मामले को विधानसभा सत्र में भी उठायेंगे. नदी के संरक्षण और नदी किनारे की बसाहट में एक संतुलन कायम होना चाहिए. केवल गरीबों के घरों को तोड़ना, उन्हें उजाड़ना न्यायसंगत नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है