27 सालों में देखूंगी पहली दीपावली

लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुरदीवाली के दिन हर किसी का चेहरा खुशी से चमकता है. हर कोई रोशनी के रंगों को देखकर रोमांचित और अह्लादित होता है. पर कोई जरा उनसे पूछे जिनकी जिंदगी में रोशनी का कोई वजूद ही नहीं रहा हो. ऐसे में अगर किसी को जिंदगी के 27 बसंत गुजारने के बाद रोशनी नसीब हुई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2014 11:04 PM

लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुरदीवाली के दिन हर किसी का चेहरा खुशी से चमकता है. हर कोई रोशनी के रंगों को देखकर रोमांचित और अह्लादित होता है. पर कोई जरा उनसे पूछे जिनकी जिंदगी में रोशनी का कोई वजूद ही नहीं रहा हो. ऐसे में अगर किसी को जिंदगी के 27 बसंत गुजारने के बाद रोशनी नसीब हुई हो उसके लिए तो हर दिन दीवाली है, तब उसके लिए दीवाली की वैल्यू को समझ पाना काफी मुश्किल है. भालूबासा हरिजन बस्ती क्वाटर नंबर 50 में रहने वाली मनचली की जिंदगी में 27 सालों के बाद दीपावली रोशन होगी. दरअसल, 27 साल अंधेरे में गुजारने के बाद बीते 9 अक्तूबर 2014 को मनचली की जिंदगी में तब पहला सूर्योदय हुआ जब उन्हें रोशनी संस्था की सहायता से आंखें मिलीं. 27 वर्षीय मनचली बताती हैं कि जब दीपावाली के दिन पूरा मोहल्ला, पूरी सिटी रोशनी और खुशी मनाती थी तो मैं एक कोने में बैठकर इस दीपावाली की रोशनी को महसूस करने की कोशिश करती थी. कई बार मुझे अपनी स्थिति पर रोना भी आता था. पर इस बार मेरे पास भी आंखें हैं और मेरे लिये तो असल मायनों में ये पहली दीवाली है, जिसे में जमकर सेलीब्रेट करना चाहती हूं. इस बार मैं अपने हाथों से पूरे घर को रंगोली से सजाऊंगी. हालांकि, डॉक्टर्स ने मुझे अभी तेज रोशनी से थोड़ा दूर रहने के लिए कहा है. इसलिए इस बार पटाखे नहीं फोड़ूंगी. पर हां देखकर जरूर एंजॉय करूंगी. आखिर ये मेरी पहली दीपावाली जो है. नाम : मनचली मुखीउम्र : 27 सालपता : भालुबासा, हरिजन बस्ती, क्वाटर नंबर – 50पिता का नाम : बाबुल मुखीमाता का नाम : सुमित्रा मुखी

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