आशा दशमी पर श्री हरि के पूजन से पूर्ण होती है हर आशा
आशा दशमी व्रत कलजमशेदपुर : कार्तिक शुक्ल दशमी को आशा नवमी व्रत मनाया जाता है. इस दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध स्थान पर जौ के चूर्ण से सायुध एवं सस्वरूप युक्त इंद्रादि देवताओं के चित्र अंकित कर उनका गंध, धूप, पुष्पादि से पूजन कर उन्हें घृत निर्मित नैवेद्य और ऋतु फल अर्पित कर […]
आशा दशमी व्रत कलजमशेदपुर : कार्तिक शुक्ल दशमी को आशा नवमी व्रत मनाया जाता है. इस दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध स्थान पर जौ के चूर्ण से सायुध एवं सस्वरूप युक्त इंद्रादि देवताओं के चित्र अंकित कर उनका गंध, धूप, पुष्पादि से पूजन कर उन्हें घृत निर्मित नैवेद्य और ऋतु फल अर्पित कर दीप जला कर उन्हें दिखाया जाता है. इस प्रकार कार्तिक शुक्ल दशमी से आरंभ कर प्रति माह शुक्ल पक्ष की दशमी को उक्त विधि से व्रत करने से सारी आशाओं की पूर्ति होती है. इसी से इसे आशा दशमी कहते हैं. आरोग्य व्रत की शुरुआत आज सेइसी दिन आरोग्य व्रत भी किया जाता है. इसके निमित्त कार्तिक शुक्ल नवमी को उपवास रखने के उपरांत दशमी के प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर श्री हरि का स्मरण करते हुए उनका पुष्प, गंध, धूप, फल आदि से पूजन कर उनके सभी आयुधों, चक्र, गदा, मूसल, खड्ग आदि का लाल पुष्पों से पूजन करें तथा गुड़ निर्मित नैवेद्य चढ़ायें. इसके पश्चात अतिरिक्त स्थान पर द्रोण परिमित तिलों का कमल बना कर उसके ऊपर अच्छे रंग से अष्टदल कमल बनायें. फिर पूर्व से आरंभ कर कमल दलों पर मन, त्वचा, श्रवण, चक्षु, घ्राण, प्राण, बुद्धि आदि का मानसिक पूजन करें एवं हरि से शरीर के निरोग एवं स्वस्थ रखने की प्रार्थना करें. ऐसा करने से शरीर निरोग रहता है तथा मन स्वस्थ. इसी कारण से इसे आरोग्य व्रत भी कहा जाता है.