टाटा स्टील हाइकोर्ट की शरण में

फ्लैग-नोवामुंडी माइंस. लीज नवीकरण को तय नये प्रावधान में राहत के लिए – कंपनी की दलील, गलती राज्य सरकार की सजा हम क्यों भुगते – नये प्रावधान के अनुसरा डिम्ड लाइसेंस के दौरान हुई खनन अवैध वरीय संवाददाता, जमशेदपुर नोवामुंडी माइंस के मुद्दे पर टाटा स्टील ने झारखंड हाइकोर्ट में सात नवंबर को एक याचिका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2014 11:05 PM

फ्लैग-नोवामुंडी माइंस. लीज नवीकरण को तय नये प्रावधान में राहत के लिए – कंपनी की दलील, गलती राज्य सरकार की सजा हम क्यों भुगते – नये प्रावधान के अनुसरा डिम्ड लाइसेंस के दौरान हुई खनन अवैध वरीय संवाददाता, जमशेदपुर नोवामुंडी माइंस के मुद्दे पर टाटा स्टील ने झारखंड हाइकोर्ट में सात नवंबर को एक याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि नोवामुंडी माइंस खोलने के लिए राज्य सरकार ने कैबिनेट में फैसला लिया, लेकिन टाटा स्टील पर अतिरिक्त देनदारी तय कर दी गयी. कंपनी का कहना है कि राज्य सरकार की गलती से लाइसेंस का नवीकरण नहीं हुआ. कंपनी की ओर से किसी प्रकार की गलती नहीं की गयी है, ऐसे में अतिरिक्त देनदारी मामले में कंपनी को राहत दी जाये. कहा गया कि जल्द लीज का नवीकरण कर दिया जायेगा, लेकिन अबतक फैसला नहीं लिया गया है. ज्ञात हो कि नोवामुंडी माइंस खोलने के लिए राज्य सरकार ने कैबिनेट में फैसला लिया, लेकिन एक नया प्रावधान तय कर दिया गया. नये प्रावधान के तहत कहा गया कि टाटा स्टील की खदानों का लीज नवीकरण जब से पेंडिंग है, तब से लेकर अब लीड नवीकरण होने तक खनन को अवैध माना जायेगा. इसके लिए कंपनी को दिये गये रॉयल्टी सहित आयरन ओर का उचित मूल्य के आधार पर पैसा भुगतान करना होगा. ऐसे में एक आकलन के मुताबिक, टाटा स्टील पर करीब पांच हजार करोड़ रुपये तक की देनदारी हो जायेगी. टाटा स्टील को लौह अयस्क खनन के लिए दी गयी 768.55 हेक्टेयर भूमि का लीज नवीकरण कई साल से रुका है. कहा गया है कि नोवामुंडी माइंस में 40 वर्ष से अवैध खनन चल रहा है. लिहाजा 40 वर्षों का पूरा पैसा देना होगा.

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