इंटरनेट से भी दोस्ती, पर किताब का विकल्प नहीं
पलक कुमार इंटरनेट फ्रेंडली हैं. टेक्नीक के मामले में भी वह पीछे नहीं हैं. लेकिन, किताबों के प्रति उनका लगाव सराहनीय कहा जाना चाहिये. युवा पलक कदमा के रहने वाले हैं जो पिछले 16 वर्षों से बुक फेयर में अपनी पसंद की किताबों की खोज में आते रहते हैं. पलक का कहना है कि वे […]
पलक कुमार इंटरनेट फ्रेंडली हैं. टेक्नीक के मामले में भी वह पीछे नहीं हैं. लेकिन, किताबों के प्रति उनका लगाव सराहनीय कहा जाना चाहिये. युवा पलक कदमा के रहने वाले हैं जो पिछले 16 वर्षों से बुक फेयर में अपनी पसंद की किताबों की खोज में आते रहते हैं. पलक का कहना है कि वे जब छोटे थे तो उनके पेरेन्ट्स ही उन्हें इस बुक फेयर में लेकर आते थे. यहां वे अपनी पसंद की किताबें खरीदते थे. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गयी, वैसे-वैसे किताबों के प्रति दीवानगी भी बढ़ती गयी. बुकफेयर हमेशा नहीं होता. लेकिन, पढ़ने की आदत कम नहीं होती. ऐसे में वे इंटरनेट के माध्यम से भी किताबें मंगवाते हैं. वाकई, पलक जैसे युवाओं की किताबों के प्रति लगाव प्रेरक है.