डॉ अर्नब भट्टाचार्यासाइकेट्रिस्टसिजोफ्रेनिया एक अलग प्रकार की मानसिक बीमारी है. इसे आम भाषा में साइकेटिक डिसऑर्डर भी कहा जाता है. इसके कारण मरीज अपने दिमाग में एक काल्पनिक पहचान बना लेता है और वास्तविक्ता में उसी पहचान के सहारे जीने लगता है. पुरुषों में यह बीमारी 15-25 साल की उम्र में होती है, जबकि महिलाओं में 25-35 साल तक की उम्र में. यह बीमारी लंबे समय तक चलती है और इसका इलाज भी लंबे समय तक चलता है. बीमार व्यक्ति अपनों पर ही शक करने लगता है. हैल्यूसिनेशन्स होने लगता है. मरीज को अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती हैं. अजीब प्रकार के दृश्य दिखायी देते हैं, जिनका वास्तविक्ता से कोई संबंध नहीं होता. अचानक गुस्सा बढ़ जाता है. नींद की परेशानी होने लगती है. सिजोफ्रेनिया के मरीजों को परिवार के स्पोर्ट की काफी जरूरत होती है. यह बीमारी जड़ से खत्म हो सकती है. बीमारी : सिजोफ्रेनिया लक्षण : पीडि़त अपनों पर शक करने लगता है. मरीज को अजीब प्रकार की आवाज सुनाई देने लगती है. उसके व्यवहार में परिवर्तन होने लगता है. उपाय : बीमारी के लक्षणों को पहचानें और डॉक्टर को संपर्क करें.
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सिजोफ्रेनिया के लक्षणों को पहचानें
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डॉ अर्नब भट्टाचार्यासाइकेट्रिस्टसिजोफ्रेनिया एक अलग प्रकार की मानसिक बीमारी है. इसे आम भाषा में साइकेटिक डिसऑर्डर भी कहा जाता है. इसके कारण मरीज अपने दिमाग में एक काल्पनिक पहचान बना लेता है और वास्तविक्ता में उसी पहचान के सहारे जीने लगता है. पुरुषों में यह बीमारी 15-25 साल की उम्र में होती है, जबकि महिलाओं […]

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