..उम्मीद नहीं थी कि बचकर जिंदा लौटेंगे

जमशेदपुर: चारधाम की यात्र पर निकले मानगो डिमना रोड स्थित आदर्शनगर में रहनेवाले जवाहरलाल अग्रवाल अपने दल के सात सदस्यों के साथ शुक्रवार की शाम जमशेदपुर पहुंच गये. स्टेशन पर उनके परिवार के सदस्य व रिश्तेदारों ने उनका स्वागत किया. गले मिलकर सभी खूब रोये. बच्चों को गोद में लेकर साथ गयी महिलाओं ने प्यार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:54 PM

जमशेदपुर: चारधाम की यात्र पर निकले मानगो डिमना रोड स्थित आदर्शनगर में रहनेवाले जवाहरलाल अग्रवाल अपने दल के सात सदस्यों के साथ शुक्रवार की शाम जमशेदपुर पहुंच गये. स्टेशन पर उनके परिवार के सदस्य व रिश्तेदारों ने उनका स्वागत किया. गले मिलकर सभी खूब रोये. बच्चों को गोद में लेकर साथ गयी महिलाओं ने प्यार किया. श्री अग्रवाल ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि लौट आयेंगे.

बस यही कहेंगे कि भोले बाबा की कृपा से वे लोग बच गये. धन्यवाद देना चाहेंगे नेताला के मोटल होलीडे इन के मालिकों का. होटल में पांच दिनों तक उन्होंने रखा, खाना खिलाया, इसके बाद जब थोड़े हालात ठीक हुए तो हाथ पकड़-पकड़ कर पहाड़ पार कराया और सुरक्षित एक कैंप में लाकर छोड़ा, जहां से किसी तरह वे हरिद्वार पहुंचे. जो लोग इस त्रसदी के शिकार हुए, उनके बारे में सोच कर वे लोग काफी मर्माहत हैं. श्री अग्रवाल ने बताया कि 15 को यमुनोत्री के दर्शन कर गंगोत्री के लिए निकले थे.

उसी रात वे नेताला में ठहर गये. 16 की सुबह बारिश लगातार हो रही थी, इसलिए थोड़ा ठहर कर यात्र शुरू करने का प्रोग्राम बनाया गया. थोड़ी ही देर में वहां मंजर बदल गया. गंगा पूरी उफान में आ गयी, चट्टानें खिसकने लगीं, गाड़ियां, घर, कॉलेज की बिल्डिंग सूखे पत्तों की तरह गंगा की धार में बहने लगे. यह दृश्य देखकर उन पर क्या बीत रही थी, वे बयां नहीं कर सकते हैं. श्री अग्रवाल ने कहा कि कभी-कभी आलस भी काम कर जाती है. 16 की सुबह-सुबह ही उन्हें निकलना था, लेकिन रात के थके होने के कारण सुबह आलस कर गये और दोपहर को निकलने की योजना बनायी. बस, इसी आलस ने जान बचा दी. उनके पहले जो लोग भी आगे गये, वे सभी भारी विपदा में फंस गये. आगे – पीछे का सारा रास्ता साफ हो गया था.

परिवार और बच्चों की याद आ रही थी त्नजवाहर लाल अग्रवाल की पत्नी पुष्पा देवी, जुगसलाई की निर्मला देवी, मीना भलोटिया, गोलमुरी की शीला देवी, मऊभंडार की अनिता बंसल ने बताया कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि जमशेदपुर दोबारा लौटेंगे, अपने परिवार और बच्चों से मिल पायेंगे. इस हादसे में परिवार के सदस्यों की याद आती थी. मत पूछिये क्या बीती, इन दिनों वहां पर. राशन नहीं था, खाना के लिए तरस रहे थे. गैस खत्म था, लकड़ियों पर खाना किसी तरह बनाते थे. होटल मालिक का एहसान जिंदगी भर नहीं भूलेंगे, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों की तरह हमें सहेज कर रखा. उनकी गाड़ी और चालक बह गये. पांच किलोमीटर का पहाड़ पार कर किसी तरह रास्ते पर पहुंचे. पांच दिन तक नहाये नहीं थे.

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