स्लग : दयाल सिटी में श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन

भाव के बिना भक्ति नहीं : प्रेमशंकर (फोटो भागवत कथा के नाम से सेव है)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर भाव से ही भक्ति होती है. यदि मन में भाव नहीं है तो भक्ति पूरी नहीं हो सकती. ये बातें महामंडलेश्वर प्रेमशंकर दास ने कहीं. वे रविवार को छोटा गोविंदपुर स्थित दयाल सिटी में चल रही श्रीमद्भागवत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2014 10:02 PM

भाव के बिना भक्ति नहीं : प्रेमशंकर (फोटो भागवत कथा के नाम से सेव है)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर भाव से ही भक्ति होती है. यदि मन में भाव नहीं है तो भक्ति पूरी नहीं हो सकती. ये बातें महामंडलेश्वर प्रेमशंकर दास ने कहीं. वे रविवार को छोटा गोविंदपुर स्थित दयाल सिटी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में लोगों को संबोधित कर रहे थे. मोझदायी है श्रीमद्भागवत श्री दास ने बताया कि शुरू में अच्छे काम का भी विरोध होता है, लेकिन उस आरंभिक झंझावात को जिसने पार कर लिया, वही सफल होता है. उन्होंने बताया कि एक बार ब्रह्मा जी के मुख से ‘द’ निकला, जिसका अर्थ भगवान ने दमन लगाया तो मनुष्य ने उसका अर्थ दान समझा. इस तरह एक ही शब्द के अलग-अलग भाव के कारण दो अर्थ हो गये. भागवत कथा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि कथा की सार्थकता तब ही है जब हम इसे अपने व्यवहार में उतारें. भागवत कथा से मन की शुद्धि होती है, संशय दूर होता है और शांति तथा मुक्ति मिलती है. श्रीमद्भागवत के श्रवण से जन्म-जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है. उन्होंने कहा कि अन्य युगों में धर्म एवं मोक्ष के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, किन्तु कलियुग में कथा श्रवण मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है, इसलिए श्रीमद्भागवत मोक्षदायी है.

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