कथा को सुनें ही नहीं, हृदय में उतारें : बृजनंदन महाराज

मानगो के वसुंधरा स्टेट से निकली भव्य शोभायात्रा, श्रीमद्भागवत कथा आरंभवरीय संवाददाता, जमशेदपुरमानगो के एनएच 33 स्थित वसंुधरा स्टेट परिसर में गुरुवार को विधि-विधान के साथ श्रीमद्भागवत कथा आरंभ हुई. इससे पूर्व दोपहर में भव्य शोभायात्रा निकली, जिसमें अनेक श्रद्धालु शामिल हुए. श्रद्धालु राधाकृष्ण मंदिर से कलश में जल लेकर कथा स्थल पहुंचे. यहां पूजा-अर्चना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2014 9:04 PM

मानगो के वसुंधरा स्टेट से निकली भव्य शोभायात्रा, श्रीमद्भागवत कथा आरंभवरीय संवाददाता, जमशेदपुरमानगो के एनएच 33 स्थित वसंुधरा स्टेट परिसर में गुरुवार को विधि-विधान के साथ श्रीमद्भागवत कथा आरंभ हुई. इससे पूर्व दोपहर में भव्य शोभायात्रा निकली, जिसमें अनेक श्रद्धालु शामिल हुए. श्रद्धालु राधाकृष्ण मंदिर से कलश में जल लेकर कथा स्थल पहुंचे. यहां पूजा-अर्चना के साथ कथा का शुभारंभ हुआ. व्यासपीठ पर आसीन कथावाचक बृजनंदन महाराज ने पहले दिन श्रीमद्भागवत कथा का महात्म्य बताया. उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में सुख की ही तरह दु:ख भी बिना बताये आता है. सुख क्षणिक होता है. सुखी रहने के लिए मनुष्य मंदिर में जा कर पूजा करता है. यदि जीवन में सुख व आनंद आ गया, तो कुछ भी पाने की इच्छा नहीं रह जाती. क्योंकि आनंद का नाम ही कृष्ण और कृष्ण का नाम आनंद है. इसलिए श्रीमद्भागवत कथा को केवल सुनें नहीं, बल्कि इसे अपने हृदय में उतारें, आत्मसात करें. महाराज जी ने कहा कि दुनिया में कोई किसी को धोखा दे सकता है, लेकिन बांके बिहारी कभी अपने भक्तों का साथ नहीं छोड़ते हैं. बेटी अपने माता-पिता के साथ ससुराल पक्ष के कुल को तारती है, जबकि पुत्र एक ही कुल को तारता है. इसलिए नंद के लाल को अपनी संतान मान कर उनकी भक्ति में लीन होने की जरूरत है. महाराज जी ने दान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए गरीब-दु:खियों, अपंग को दान देकर भगवत सेवा करने की सीख दी.

Next Article

Exit mobile version