फरिश्तों ने भी मोहम्मद की आमद पर जश्न मनाया
जमशेदपुर: पैगाम-ए-इसलाम के निदेशक हजरत मौलाना सैफुद्दीन असदक एवं कादरी मसजिद के खतीब व कादरी अकादमी के चेयरमैन हजरत मौलाना काजी मुश्ताक अहमद ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद (सअ.) का जन्मोत्सव कायनात की अहम और पवित्र तिथि है. इसे इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिवस के रूप में स्मरण किया जाता है. इसे इसलामी पृष्ठभूमि में […]
जमशेदपुर: पैगाम-ए-इसलाम के निदेशक हजरत मौलाना सैफुद्दीन असदक एवं कादरी मसजिद के खतीब व कादरी अकादमी के चेयरमैन हजरत मौलाना काजी मुश्ताक अहमद ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद (सअ.) का जन्मोत्सव कायनात की अहम और पवित्र तिथि है. इसे इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिवस के रूप में स्मरण किया जाता है.
इसे इसलामी पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण् स्थान प्राप्त है. सरवर ए कायनात पैगंबर की दुनिया में व्यावहारिक तौर पर आमद के संबंध में हदीस-ए-पाक और उनकी जीवनी के संबंध में अबतक जो कहा और सुना जाता है कि हुजूर-ए-पाक की आमद वाली सुबह से पहली वाली रात अल्लाह तबारक तआला ने फरिश्तों को हुक्म दिया कि मेरे महबूब की आमद हो रही है उनके स्वागत का एहतेमाम (आयोजन) करें. बुधवार को जुगसलाई में जागरूकता फैलाने के लिए जमशेदपुर आशिकान-ए-रसूल कमेटी और कादरी मसजिद कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शान-ए-रिसालत जलसा का आयोजन किया गया.
वक्ताओं ने कहा कि आयोजन में खास तौर से खुशबू लगाने और फरिश्तों की भीड़ के साथ स्वागत की रवायत मिलती है. पैगम्बर (सअ.) की जयंती समारोह का महत्व इसी से और बढ़ जाता है. हुजूर की आमद वाली रात अर्थात 4 जनवरी की प्रात: 4:30 बजे के आस-पास कुरआन-ए-पाक की तिलावत करें. जुलूस ए मोहम्मदी की पूर्व संध्या पर जुलूस को अनुशासित करने के लिए आशिकान-ए-रसूल कमिटी के द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जायेगा. कार्यक्रम में मुख्य रूप से कमेटी के अध्यक्ष हाजी इसहाक अहमद, इरशाद आलम आदि मुख्य रूप से शामिल थे.