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प्रभात खबर की 25वीं वर्षगांठ : प्रभात खबर ने साेसायटी कल्चर काे दिया बढ़ावा

यह बिलकुल सत्य है कि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है. परंतु अविष्कार न भी हो, तो आवश्यकता की पूर्ति के लिए सजग मन रास्ता तलाश ही लेता है. इसी उद्देश्य के साथ जमशेदपुर में बहुमंजिला भवनों का निर्माण प्रारंभ हुआ.

वाइएन यादव, सीइओ, आदर्श सहकारी गृह निर्माण स्वाबलंबी समिति लिमिटेड जमशेदपुर

यह बिलकुल सत्य है कि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है. परंतु अविष्कार न भी हो, तो आवश्यकता की पूर्ति के लिए सजग मन रास्ता तलाश ही लेता है. इसी उद्देश्य के साथ जमशेदपुर में बहुमंजिला भवनों का निर्माण प्रारंभ हुआ. बहुमंजिला मकान की शुरुआत साेनारी में आदर्श सहकारी गृह निर्माण के माध्यम से हुई. इसका मैं अवैतनिक सचिव बना. शुरुआती दिनाें में लाेगाें की रुहालात ये थे कि पांच मंजिला मकान के पांच ब्लॉक में बने 40 फ्लैट को लेने के लिए मात्र सात लाेग आगे आये.

प्रभात खबर ने साेसायटी कल्चर काे काफी प्रमुखता दी. साेसायटी में जागरुकता अभियान चलाया. बागवानी, दुर्गापूजा समेत अन्य कई खबराें काे प्रकाशित कर इस फ्लैट-बिल्डिंग साेसायटी कल्चर काे काफी मजबूत किया. इस कार्य में मुझे इसलिए भी सफलता मिली कि मैं इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट था आैर साथ ही एलएलबी कर रखी थी. 1985-86 में मैं बिहार स्टेट हाउसिंग को-ऑपरेटिव फेडरेशन का निर्विराेध निदेशक चुना गया. 1989 से अब तक पीएनबी से लाेगाें काे लाेन दिलाने में मदद करता रहा हूं. हाउसिंग को-ऑपरेटिव को ही माध्यम इसलिए चुना गया क्योंकि अन्य कोई वित्तीय संस्था या बैंक 1989-90 तक गृह निर्माण के लिए ऋण नहीं देते थे.

कम जमीन पर निर्माण कर अधिक से अधिक लोगों को आवासीय सुविधा मिले तथा निर्माण लागत भी कम हो, यह मुख्य उद्देश्य रहा. 1971 के भारत-पाक युद्ध में भूमिका निभाने के बाद मेरे हौसले बुलंद थे. 1978-79 तक सरकारी सेवा करने के बाद मैंने एक मल्टी नेशनल कंपनी में डिप्टी चीफ इंजीनियर के पद पर योगदान दिया, जिसका मुख्यालय जमशेदपुर था. जमशेदपुर आने पर मुझे भी घर की आवश्यकता महसूस हुई. उस वक्त नया जमीन विवाद टाटा कंपनी एवं बिहार सरकार के बीच में चल रहा था. मामला सुप्रीम काेर्ट में लंबित था, इसलिए घर बनाना प्रतिबंधित था. मुझे ख्याल आया कि भूमि में वृद्धि नहीं होगी, इसलिए बढ़ती जनसंख्या की आवासीय आवश्यकताओं के लिए वर्टिकल स्पेस उपयाेगी हाेगा.

उसी वक्त मेरे दिमाग में यह सोच उभरी की जमशेदपुर काे आनेवाले समय में बहुमंजिला मकानाें की जरूरत पड़ेगी. 1981-82 में इस विचार को मूर्त रूप देने की याेजना तैयार की. मार्च 1979 तक नेशनल हाउसिंग बैंक की स्थापना नहीं हुई थी. इस कारण काेई भी बैंक गृह निर्माण के लिए ऋण नहीं देता था. केवल एलआइसी की एंडोन्मेंट पॉलिसी होल्डर को गृह ऋण की सुविधा का प्रावधान था. राशि कम मिलती थी.

इसलिए साेचा कि क्याें न ऐसी संस्था बनायी जाये, जाे गृह निर्माण के लिए ऋण प्रदान कर सके. उसे माध्यम बना कर बहुमंजिला इमारत का निर्माण किया जा सके. इसी कड़ी में खोज के दौरान यह जानकारी हासिल हुई कि प्रत्येक राज्य में एक ही संस्था है, जो गृह निर्माण के लिए ऋण प्रदान करती है जिसका नाम बिहार राज्य के लिए बिहार स्टेट हाउसिंग को-ऑपरेटिव फेडरेशन (लिमिटेड) पटना है. इस तरह जमशेदपुर में बहुमंजिला मकान बनाने का रास्ता साफ हुआ. आदर्श सहकारी गृह निर्माण समिति की स्थापना 1980 में हुई.चि बहुमंजिला मकानाें के प्रति नहीं थी.

Post by : Prirtish Sahay

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