इयरफोन पर तेज गाना सुनने से भी होता है बहरापन

डॉ केपी दूबेइएनटी स्पेशलिस्ट बहरापन के मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं. पहला टोटली डीफ (पूर्णत: बहरापन) और दूसरा पार्शियली डीफ (आंशिक बहरापन). टोटली डीफ एक जनमजात बीमारी होती है. इसमें कान के भीतरी भाग का सही से विकास नहीं हो पाता है. पार्शियली डीफ, मीडिल इयर में इनफेक्शन होने से या फिर कान का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 5, 2015 6:03 PM

डॉ केपी दूबेइएनटी स्पेशलिस्ट बहरापन के मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं. पहला टोटली डीफ (पूर्णत: बहरापन) और दूसरा पार्शियली डीफ (आंशिक बहरापन). टोटली डीफ एक जनमजात बीमारी होती है. इसमें कान के भीतरी भाग का सही से विकास नहीं हो पाता है. पार्शियली डीफ, मीडिल इयर में इनफेक्शन होने से या फिर कान का पर्दा फट जाने के कारण होता है. न्वायज इंड्यूस हियरिंग लॉस के कारण भी बहरापन का खतरा बढ़ता जा रहा है. ऐसा कान में इयरफोन लगाकर तेज आवाज में सुनने के कारण होता है. शुरुआती दिनों में इस बीमारी का पता नहीं चलता है, लेकिन कुछ समय बाद आदमी को कम सुनाई देने लगता है. इस बीमारी से पीडि़त करीब 2-3 लोग मेरे पास रोज आते हैं. कम सुनाई देना या फिर दूर की आवाज न सुनाई देना इस बीमारी के प्रमुख लक्षणों में से है. इंडस्ट्रियल एरिया में तेज आवाज के बीच काम करने वाले लोगों को, त्योहारों के दौरान बम-पटाखों की आवाज से कान का पर्दा फट जाने के कारण भी कान की बीमारी हो सकती है. मीडिल इयर तक समस्या हो तो दवाओं व ऑपरेशन द्वारा उसका इलाज किया जा सकता है. बीमारी : नव्याज इंड्यूस हियरिंग लॉस. लक्षण : कम सुनाई देना या दूर की आवाज न सुनाई देना. उपाय : तेज ध्वनि से दूर रहना चाहिए. इंडस्ट्री में तेज आवाज में काम करने वाले लोगों को इयर प्लग या इयर मफ लगाकर काम करना चाहिए. इयरफोन लगाकर गाने नहीं सुनना चाहिए.

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