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करनडीह चौक से घाघीडीह जेल तक बने स्पीड ब्रेकर से कैदी वैन को खतरा

जमशेदपुर: घाघीडीह सेंट्रल जेल से करनडीह चौक के बीच रास्ते में बने स्पीड ब्रेकर से कैदी वैन को खतरा हो सकता है. स्पीड ब्रेकर होने के कारण वैन की रफ्तार धीमी करनी पड़ती है, जिसका फायदा भागने के लिए वैन में सवार कैदी या उन्हें छुड़ाने के लिए अपराधी या नक्सली उठा सकते हैं. पूर्व […]

जमशेदपुर: घाघीडीह सेंट्रल जेल से करनडीह चौक के बीच रास्ते में बने स्पीड ब्रेकर से कैदी वैन को खतरा हो सकता है. स्पीड ब्रेकर होने के कारण वैन की रफ्तार धीमी करनी पड़ती है, जिसका फायदा भागने के लिए वैन में सवार कैदी या उन्हें छुड़ाने के लिए अपराधी या नक्सली उठा सकते हैं. पूर्व में कोर्ट से पेशी कर लौटते समय एमजीएम अस्पताल के नजदीक आगे बाइक खड़ी कर कैदी वैन की रफ्तार धीमी कर वैन पर सवार परमजीत सिंह (मृतक) पर फायरिंग की घटना हो चुकी है. करनडीह चौक से जेल गेट तक जहां स्पीड ब्रेकर लगे हैं वहां अगल- बगल खाली मैदान है.
स्पीड ब्रेकर के चारों तरफ खुला रास्ता
जेल से करनडीह चौक के बीच में लगभग सात स्पीड ब्रेकर हैं. जेल की दीवार पार करने के बाद स्पीड ब्रेकर ही वजह से चालक को वैन की रफ्तार धीमी करनी पड़ती है. जिस जगह स्पीड ब्रेकर लगा हुआ है. उसके चारों तरफ खाली मैदान है. मैदान के आगे एक रास्ता ( जेल क्वार्टर के बगल से पीसीसी सड़क ) बागबेड़ा की ओर निकलता है, जो आगे होकर बागबेड़ा बस्ती और चार खंभा चौक खासमहल की तरफ निकल जाता है. वहीं मैदान की दूसरी तरफ का रास्ता ( जेल के बगल खाली मैदान ) घाघीडीह बस्ती, नागाडीह, कांचा की ओर से जाता है. रास्ता अत्यंत ही खराब है. इस मार्ग पर दो पहिया वाहन ही चलते हैं. खराब रोड की वजह से इस मार्ग पर चार पहिया वाहन नहीं गुजरते हैं. जबकि वैन और स्कॉर्ट पार्टी चार पहिया में रहते हैं.
करनडीह चौक पर अक्सर रहता है जाम
करनडीह चौक पर अक्सर जाम रहता है. जेल से चौक आने वाले मार्ग के मुख्य चौराहे पर जाम लगाने से कैदी वैन को प्रतिदिन जाम में रुकना पड़ता है. शाम में कोर्ट से वापसी के दौरान जाम ज्यादा रहता है. आगे स्पीड ब्रेकर होने से चौक से जेल गेट तक वैन की रफ्तार स्पीड ब्रेकर से धीमी हो जाती है.
अब नहीं मिला जैप जवान
जेल की सुरक्षा के लिए अब तक जेल प्रशासन को जैप जवान नहीं मिला. विधानसभा चुनाव के दौरान जेल की सुरक्षा में तैनात जवानों को वापस बुला लिया गया था. पहले से जेल की सुरक्षा में कम जवान है. राज्य गठन के बाद जेलकर्मियों की बहाली नहीं हुई है. ऐसे में थोड़ी से चूक चाईबासा घटना की पुनरावृत्ति हो सकती है.

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