बारीडीह बाजार में श्रीमद्भागवत कता का चौथा दिनवरीय संवाददाता जमशेदपुरभगवान सर्वतंत्र स्वतंत्र हैं, किन्तु भक्ति की शक्ति उन्हें भी बंधन में बांध लेती है, परतंत्र बना देती है. उक्त बातें बारीडीह बाजार मैदान में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान प्रवचनकर्ता पराशर जी ने कहीं. उन्होंने कहा कि सद्गुरु ही मनुष्य की जीवन नैया का कर्णधार होता है तथा अधिकारी शिष्य बनने से सद्गुरु स्वत : ही मिल जाते हैं, जो मनुष्य को भगवान से मिलाते हैं. आज की कथा में प्रवचनकर्ता पराशर जी ने आज मुनि वशिष्ठ द्वारा राजा दशरथ के लिए कृष्यभृंग ऋषि से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाने से लेकर भगवान श्रीराम सहित चारों भाइयों के जन्म की कथा सुनायी. उन्होंने कहा कि श्रीरामचरित मानस श्रीराम का ही स्वरूप है. बाल कांड भगवान के चरण हैं, अयोध्या कांड जंघा, अरण्य कांड उदर, किष्किंधा कांड हृदय तथा सुंदर कांड कंठ, लंका कांड उनका मुख तथा उत्तर कांड उनका मस्तक है. उन्होंने कहा कि राम राज्य में कोई दरिद्र, लोभी, झगड़ालू नहीं था, न ही किसी को दैहिक, दैविक या भौतिक ताप ही सताते थे. पराशर जी कल श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनायेंगे. आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से शुभंकर मिश्र, शत्रुघ्न प्रसाद, प्रभाकर मिश्रा, कृष्णा मंडल, संजीव झा, डॉ एपी राव, राजकुमार वर्मा, अंकित झा, प्रदीप मल्लिक, दिलजीत वर्मा, अंजला मिश्र, पिंकी लेयांगी, शीतल कुमारी, गीतांजलि बोस, ताप्ती दत्ता, काजल भगना, पुनीता वर्मा, कल्याणी दास, बसंती भौतिक आदि काफी संख्या में श्रद्धालु महिला-पुरुष उपस्थित थे.
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भक्ति के वशीभूत हो जाते हैं भगवान : पराशर जी (फोटो दुबेजी 14,15)
बारीडीह बाजार में श्रीमद्भागवत कता का चौथा दिनवरीय संवाददाता जमशेदपुरभगवान सर्वतंत्र स्वतंत्र हैं, किन्तु भक्ति की शक्ति उन्हें भी बंधन में बांध लेती है, परतंत्र बना देती है. उक्त बातें बारीडीह बाजार मैदान में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दौरान प्रवचनकर्ता पराशर जी ने कहीं. उन्होंने कहा कि सद्गुरु ही मनुष्य की जीवन […]
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