सब्जियों की खेती के लिए बंदियों के बीच कार्यों का बंटवारा कर दिया गया है. एक बंदी दूसरे के कार्य में दखल नहीं करता है. पानी की कमी के बावजूद सब्जियों की अच्छी उपज हो रही है. पानी की समस्या दूर हो जाये और कृषि के लिए पर्याप्त संसाधन मिले तो जेल में सब्जियों की पैदावार बढ़ सकती है.
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घाघीडीह सेंट्रल जेल के बंदी उपजा रहे सब्जी
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जमशेदपुर: घाघीडीह सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास काट रहे बंदी अपनी मेहनत से सब्जी उपजा रहे हैं. बंदियों की मेहनत का नतीजा है कि सब्जियों की अच्छी पैदावार हो रही है. जेल में फलनेवाले सब्जियों को बंदियों को परोसा जाता है. इससे जेल प्रबंधन को बजट में राहत मिलती है. वहीं बंदियों को ताजा सब्जी […]

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जमशेदपुर: घाघीडीह सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास काट रहे बंदी अपनी मेहनत से सब्जी उपजा रहे हैं. बंदियों की मेहनत का नतीजा है कि सब्जियों की अच्छी पैदावार हो रही है. जेल में फलनेवाले सब्जियों को बंदियों को परोसा जाता है. इससे जेल प्रबंधन को बजट में राहत मिलती है. वहीं बंदियों को ताजा सब्जी खाने को मिलती है.
साग, टमाटर, बैंगन, मूूली, धनिया पता की उपज. घाघीडीह जेल में इन दिनों लाल साग, पालक साग, टमाटर, बैंगन, मूूली उपजाये गये हैं. सीजन के साथ सब्जियां लगायी जाती है. इस कार्य को जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 35 बंदी देख रहे हैं. घाघीडीह जेल में लगभग लगभग 1410 बंदी हैं.
सब्जियों के साथ जेल में औषधि पार्क
जेल में औषधि पार्क लगाया गया है. औषधि पार्क में बंदियों की ओर से खुजली, ब्लड प्रेशर, शुगर सहित छोटी- मोटी बीमारियों से निजात दिलाने वाले पेड़ भी लगाये गये हैं. जिनकी देखभाल जेल के बंदी करते हैं. इस कार्य में जेल प्रशासन इनकी मदद करता है. इन औषधीय पौधे से जेल के बंदियों का भी इलाज किया जाता है. लगभग एक हजार पेड़ जेल परिसर में लगाये जायेंगे.
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