भारत रत्न पाने वाले देश के इकलौते उद्योगपति हैं जेआरडी टाटा, मौत के करीब 30 साल बाद भी जनसेवा में तत्पर!
जेआरडी टाटा अपने पीछे ऐसी विरासत अपने पीछे छोड़ गये हैं, जो अब भी देश के काम आ रहे हैं. चाहे, कॉमर्शियल पायलट की बात हो, शिक्षा या विकास की, हर स्थान पर उनकी मौत के करीब 30 साल बाद भी यह जनसेवा में तत्पर है, उनके आदर्श आज भी कायम हैं. वे देश के इकलौते उद्योगपति हैं, जिन्हें भारत रत्न मिला.
जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह : देश के पहले कॉमर्शियल पायलट, उद्योगपति, टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन और एयर इंडिया के संस्थापक भारत रत्न जहांगीर रतन जी दादा भाई टाटा (जेआरडी टाटा) का निधन 29 नवंबर 1993 को जेनेवा में 89 साल की उम्र में हो गया था. लेकिन, वे एक ऐसी विरासत अपने पीछे छोड़ गये हैं, जो देश के काम अब भी आ रहे हैं. चाहे कॉमर्शियल पायलट की बात हो, शिक्षा या विकास की बात हो, हर स्थान पर आज भी उनकी मौत के करीब 30 साल बाद भी यह जनसेवा में तत्पर है और उनके आदर्श आज भी कायम हैं. उनके द्वारा स्थापित कई सारी सामाजिक कार्य आज भी जीवित हैं, जो उनके आदर्शों और उनके नाम को हमेशा जन-जन में बनाये रखेगा. उनके नाम पर चल रहीं कई योजनाएं का लोग लगातार लाभ उठा रहे हैं. उन्होंने पारसी धर्म के अच्छे विचार, अच्छे शब्द व अच्छे कार्य के मूलमंत्र को अपनाया. उनका कहना था कि जो देशहित में है, वही टाटा के लिए ठीक है.
राष्ट्रीय राहत कोष में दिया धन आज भी आ रहा देश के काम
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, टाटा मेमोरियल कैंसर रिसर्च सेंटर एंड हास्पिटल, इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, नेशनल सेंटर फॉर परफाॅर्मिंग आर्ट्स एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज तथा विभिन्न ट्रस्टों के माध्यम से जेआरडी टाटा ने राष्ट्र निर्माण को कई अनमोल उपहार भेंट किये. उन्होंने प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष का भी नेतृत्व किया, जिसमें पाकिस्तान के विभाजन के बाद से आने वाले लाखों शरणार्थियों की दुर्दशा को सहन करने में पर्याप्त धनराशि नहीं था. ऐसे समय में जेआरडी ने आर्थिक मदद की थी. उनकी सलाह पर शुरू किया गया फंड समय-समय पर देश में आने वाली आपदाओं के बाद आशा की किरण बना रहता है.
भारत सरकार और टाटा समूह जेआरडी के नाम पर चलाता है छात्रवृत्ति योजना
भारत सरकार ने जेआरडी टाटा को भारत रत्न से सम्मानित किया था. वे देश के इकलौते उद्योगपति हैं, जिनको यह सम्मान मिला है. उनकी याद में ही भारत सरकार इंसा जेआरडी टाटा फेलॉशिप कार्यक्रम संचालित करती है. इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी नयी दिल्ली की फंडिंग से इसका संचालन किया जाता है, जो उदयमान साइंटिस्ट को रिसर्च के लिए फंड उपलब्ध कराता है. जेआरडी टाटा स्कॉलरशिप उच्च शिक्षा के लिए टाटा समूह की ओर से भी दी जाती है. इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल की ओर से जेआरडी टाटा अवॉर्ड दिया जाता है. यह वैसे उद्यमियों या प्रबंधकीय अधिकारियों को दिया जाता है, जो राष्ट्र की समृद्धि और विकास में अहम भूमिका निभाता है. इसके अलावा सावित्री बाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी की ओर से जेआरडी टाटा गुणवंत संशोधक छात्रवृति स्कूली स्टूडेंट्स को देती है, ताकि बच्चों को पढ़ाई में सहूलियत हो सके.
राष्ट्रपति केआर नारायणन को मिली थी स्कॉलरशिप
जेआरडी टाटा ने जो स्कॉलरशिप की शुरुआत की, उसका लाभ उठाने का एक बड़ा उदाहरण केआर नारायणन हैं. केआर नारायणनन को पढ़ाई में मदद करने के लिए स्कॉलरिशप के रूप में 16 हजार रुपये मिले थे. एक हजार रुपये का भी लोन उनको दिया गया था. श्री नारायणन न इसी वित्तीय सहायता से लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया. 1959 में भारतीय विदेश सेवा में शामिल हुए. 1992 में पहले केआर नारायणन देश के उपराष्ट्रपति और 1994 में राष्ट्रपति बने.
स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स दे रहा खेलकूद को बढ़ावा
जमशेदपुर शहर से जेआरडी टाटा का विशेष लगाव था. उनके नाम पर ही सबसे बड़ा स्टेडियम तैयार है. जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स 40 हजार की क्षमता वाला स्टेडियम है, जिसकी स्थापना जेआरडी टाटा और रुसी मोदी ने मिलकर करायी थी. 1991 में इसकी स्थापना की गयी थी. आज भी यह खेलकूद को पूरे राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश में बढ़ावा दे रहा है.
मजदूरों के थे रहनुमा
जेआरडी टाटा को मजदूरों के रहनुमा के तौर पर जाना जाता है. उन्होंने ही देश भर में पहली बार कॉरपोरेट मानव संसाधन विभाग बनवाया था. इसकी शुरुआत उन्होंने टाटा स्टील से की थी. उनके ही कार्यकाल में आठ घंटे काम का नियम बना, जिसको बाद में भारत सरकार ने कानून बनाया.
जेआरडी टाटा
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जन्म: 29 जुलाई 1904 फ्रांस के पेरिस में हुआ
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नागरिकता : फ्रांस में 1904 से 1928 और फिर भारत में 1929 से 1993 तक
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पत्नी का नाम : थेलमा टाटा
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माता-पिता : रतनजी दादा भाई टाटा और मां सुजैन सूनी बियरे
पुरस्कार और सम्मान
भारत रत्न, पद्मभूषण, पद्मविभूषण, वायु सेना में ग्रुप कैप्टन का मानद पद, एयर कमाडोर पद पर प्रोन्नति दी गयी. एयर वाइस मार्शल भी दिया गया. टोनी जेनस पुरस्कार, फेडरेशन एरोनॉटिक इंटरनेशनल की ओर से गोल्ड एयर पदक, अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन द्वारा एडवर्ड वार्नर पुरस्कार, डेनियल गुग्नेइनिम अवार्ड दिया गया. 1992 में देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न दिया गया.
जेआरडी टाटा का करियर
1925 में टाटा एंड संस में ट्रेनीज बने, 1928 में टाटा एंड संस के अध्यक्ष 24 साल की उम्र में बनाये गये. 1929 में पहला कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त की. 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की. 1936 को टाटा सोशल साइंसेज की स्थपाना की. 1941 में टाटा मेमोरियल कैंसर रिसर्च की स्थापना की. टीआइएफआर की स्थपाना 1954 में की. टाटा ने टाटा मोटर्स की स्थापना 1945 में की. 1948 में भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस शुरू की. 1953 में इंडियन एयरलाइसंस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बने और एयरइंडिया के अध्यक्ष. 1968 में टाटा कंप्यूटर सेंटर बनाये. 1979 में टाटा स्टील की स्थापना की. 1988 में चेयरमैन का पद छोड़ा.
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