स्मरण के साथ जीवंत हुई कविगुरु की प्रासंगिकता

जमशेदपुर: जिंदगी बेशकीमती है. इसे संवारा जा सकता है और इसका सबसे अच्छा माध्यम है प्रसन्न रहना. प्रसन्न रहना बहुत सहज है, पर सहज रहना बहुत कठिन. ये बातें रवींद्रनाथ टैगोर की हैं, जिन्होंने इस तरह की वाणियों के जरिये मानव को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. गुरुवार को कविगुरू रवींद्रनाथ टैगोर को रवींद्र भवन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 9, 2013 8:36 AM

जमशेदपुर: जिंदगी बेशकीमती है. इसे संवारा जा सकता है और इसका सबसे अच्छा माध्यम है प्रसन्न रहना. प्रसन्न रहना बहुत सहज है, पर सहज रहना बहुत कठिन. ये बातें रवींद्रनाथ टैगोर की हैं, जिन्होंने इस तरह की वाणियों के जरिये मानव को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. गुरुवार को कविगुरू रवींद्रनाथ टैगोर को रवींद्र भवन में याद किया गया.

7 अगस्त 1941 को महाप्रयाण हुए महान कवि की पुण्य तिथि के मौके पर टैगोर सोसाइटी में कार्यक्रम हुआ. इसमें कवि गुरु की प्रासंगिकता स्मरण के जरिये जीवंत हो उठी. इस विशेष दिन की शुरुआत पौधरोपण के साथ हुई. टैगोर अकादमी के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिये कविगुरु द्वारा रचित प्रकृति की रचनाओं और प्रकृति की सुंदरता को बयां किया.

इसके बाद मुख्य अतिथि के रूप में सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ एचएस पॉल, महासचिव आशीष चौधरी, उपाध्यक्ष डॉ जहर बनर्जी, कोषाध्यक्ष सुदीप बासु व टैगोर अकादमी के प्राचार्या मधुछंदा मजुमदार ने रवींद्र भवन परिसर में पौधरोपण किया.

कवि गुरु की स्मृति में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया. इसमें समाज के हर वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया. इस दौरान कुल 45 यूनिट रक्त संग्रह किया गया. कार्यक्रम के दौरान रवींद्रनाथ टैगोर पर आधारित क्विज कंपीटिशन का आयोजन किया गया. जिसमें कक्षा 7 से 9 तक के बच्चों की 6 टीम तैयार हुई और हर टीम में 2-2 प्रतिभागी शामिल हुए. सबों से कविगुरु के जीवन से संबंधित सवाल पूछे गये. विजयी प्रतिभागियों को सोसाइटी की ओर से पुरस्कृत किया गया.

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