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वन संरक्षण कानून में हो संशोधन : सांसदलोकसभा में उठाया मामलाअधिसूचना में संशोधन की मांगवनों पर निर्भर आदिवासियों को संरक्षण मिलेदलमा अभयारण्य का मुद्दा उठायादलमा में बिछा है उद्योगों का जाल संवाददाताजमशेदपुर : सांसद विद्युत वरण महतो ने लोकसभा में दलमा अभयारणय का मामला उठाते हुए कहा कि इसके चारों तरफ उद्योगों का जाल बिछा […]

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वन संरक्षण कानून में हो संशोधन : सांसदलोकसभा में उठाया मामलाअधिसूचना में संशोधन की मांगवनों पर निर्भर आदिवासियों को संरक्षण मिलेदलमा अभयारण्य का मुद्दा उठायादलमा में बिछा है उद्योगों का जाल संवाददाताजमशेदपुर : सांसद विद्युत वरण महतो ने लोकसभा में दलमा अभयारणय का मामला उठाते हुए कहा कि इसके चारों तरफ उद्योगों का जाल बिछा हुआ है. पर उन उद्योगों की चिमनी से खतरा नहीं लगता, बल्कि गरीब जनता के चूल्हा से वन विभाग व पर्यावरण प्रेमियों को पर्यावरण का ज्यादा खतरा दिखता है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण और सुरक्षा दोनों जरूरी है. इसलिए सरकार को संतुलित व्यवस्था बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में जन भावना को ध्यान में रखते हुए गजट अधिसूचना में संशोधन किया जाये. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए वन न केवल आश्रयदाता, बल्कि आजीविका के साधन भी रहे हैं. उन्होंने कहा कि आदिवासी अपने निकट के वनों के प्राकृतिक रखवाले भी रहे हैं. पर जब से वन संरक्षण के नाम पर बनते गये कानून से वन खिसक कर वन विभाग के हाथ चला गया, तब से वन व वन्य जीव का ह्रास होता गया. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में देश के प्रत्येक नागरिक को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आजीविका व रोजगार का अधिकार स्पष्ट किया गया है. वनों के अंदर करोड़ों लोग रहते हैं, जिनकी वनों में वनोपज को संग्रह कर बेचना, वन्य भूमि पर कृषि करना, वृक्षारोपण, पशुपालन समेत अन्य स्वरोजगार आजीविका जुड़ी हुई है.

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