सोनारी में निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन का 59 वां अधिवेशन संपन्नअधिवेशन की मुख्य बातें- बच्चों को मातृभाषा से जोड़ने के लिए घर में बंगला में बात करें – अंग्रेजी के साथ-साथ बंगला भाषा को भी महत्व देंसंवाददाता, जमशेदपुर झारखंड में बांग्ला को राजभाषा का दरजा प्राप्त है, बावजूद इसके इस भाषा को जो सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पा रहा है. आज समाज के बच्चे मातृभाषा से दूर होते जा रहे हैं. घर में ऐसा माहौल बनायें, जिससे उनमें भाषा के प्रति प्रेम जागे. बांग्ला भाषा के उत्थान के लिए झारखंड में बंगला एकेडमी की स्थापना होनी चाहिए. उक्त बातें अधिवक्ता तापस मित्रा ने कहीं. वे रविवार को निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के 59 वें साहित्य अधिवेशन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. सोनारी कागलनगर स्थित सामुदायिक विकास केंद्र प्रांगण में उक्त आयोजन किया गया था. कार्यक्रम का शुभारंभ श्री मित्रा एवं अन्य अतिथियों ने झंडोत्तोलन तथा दीप प्रज्वलित कर किया. इस अवसर पर चार सत्रों में बांट कर कार्यक्रम आयोजित किया गया.जिसमें साहित्य एवं सांस्कृतिक अधिवेशन, विश्व महिला दिवस, स्वलिखित कविता पाठ, पुरस्कार वितरण मुख्य था. कार्यक्रम में दिलीप भट्टाचार्य, झरना कर, मदन दरिपा, निखिल दत्ता, सुकोमल घोष, निसार सफुदीन, श्ुाक्ला राय चौधरी, रमा मुखर्जी, प्रशांत बनर्जी, महेश सेता हलदर, शर्मिला पाल, भोवेश डे, सुभाष पाल आदि उपस्थित थे.
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झारखंड में बांग्ला एकेडमी की स्थापना हो : तापस मित्रा (फोटो हैरी
सोनारी में निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन का 59 वां अधिवेशन संपन्नअधिवेशन की मुख्य बातें- बच्चों को मातृभाषा से जोड़ने के लिए घर में बंगला में बात करें – अंग्रेजी के साथ-साथ बंगला भाषा को भी महत्व देंसंवाददाता, जमशेदपुर झारखंड में बांग्ला को राजभाषा का दरजा प्राप्त है, बावजूद इसके इस भाषा को जो सम्मान […]
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