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सब कमेटी करेगी उद्देश्यों की जांच

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जमशेदपुर: 59 सबलीज (भूमि आवंटी) के उद्देश्य की जांच तीन सदस्यीय सब कमेटी करेगी. कमेटी तीन दिनों में स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपेगी. कमेटी पता लगायेगी कि सबलीज जिस उद्देश्य से दिया गया था. उसके अनुसार निर्माण कार्य हुए है या नहीं. तीन सदस्यीय सब कमेटी में एडीसी सुनील कुमार, एसडीओ प्रेम रंजन और सीओ […]

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जमशेदपुर: 59 सबलीज (भूमि आवंटी) के उद्देश्य की जांच तीन सदस्यीय सब कमेटी करेगी. कमेटी तीन दिनों में स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट सौंपेगी. कमेटी पता लगायेगी कि सबलीज जिस उद्देश्य से दिया गया था. उसके अनुसार निर्माण कार्य हुए है या नहीं. तीन सदस्यीय सब कमेटी में एडीसी सुनील कुमार, एसडीओ प्रेम रंजन और सीओ शामिल हैं. कुछ लोगों को 2005 के पहले सबलीज देने मामले में कमेटी ने टाटा स्टील और सब लीजधारियों को नोटिस जारी कर 24 घंटे में जवाब मांगा है.
इससे पूर्व राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की ओर से गठित कमेटी ने मंगलवार को जिला मुख्यालय सभागार में सब लीज मामले की बैठक कर सुनवाई की. कोल्हान आयुक्त अरुण की अध्यक्षता में हुई बैठक सह सुनवाई में सब लीजी, आम लोग, सामाजिक कार्यकर्ता व अन्य व्यक्ति ने समिति के समक्ष अपना लिखित पक्ष रखा. सुनवाई शुरू होते ही डीसी डॉ अमिताभ कौशल ने कहा कि नोटिस का लिखित जवाब देने वाले अगर कुछ जानकारी देना भूल गये हैं, तो शाम पांच बजे तक लिखित पक्ष दे दें. पक्ष प्राप्त नहीं होने की स्थिति में माना जायेगा कि सब लीजी (भूमि आवंटी) को इस संबंध में कुछ नहीं कहना है.
कोल्हान आयुक्त अरुण ने कहा कि सरकारी स्वीकृत आदेश के अनुसार जिन्हें सब लीज दिया गया है, उस भूमि धारक को तीन माह में विहित प्रपत्र में एकरारनामा कराना आवश्यक है. ऐसा नहीं करने पर सब लीज स्वत: रद्द हो जायेगी. यह तभी मान्य होगा, जब रजिस्टर्ड होगा. 59 सबलीजी में मात्र 6 ने रजिस्ट्री करायी है. रजिस्ट्री कराने वालों ने वैल्यू के अनुसार स्टांप नहीं कराया. ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 1882 की धारा 107 के अनुसार एक वर्ष से ज्यादा का कोई भी एग्रीमेंट या सब लीज हो, तो वह रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है. रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 17 के अनुसार जमीन के न्यूनतम बाजार मूल्य के अनुसार देय स्टांप एवं शुल्क जमा कर रजिस्ट्री करनी है. वहीं सौ से पांच सौ रुपये मूल्य के स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट किया गया. इससे लगभग 1.49 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. लीज एग्रिमेंट 2005 के अनुसार शिड्यूल इ की जमीन आवंटित करनी थी, लेकिन टाटा स्टील ने ए, बी, सी, डी शिड्यूल की जमीन आवंटित कर दी.

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