जमशेदपुर: टाटा स्टील कर्मचारियों के वेज रिवीजन पर टाटा स्टील के उपाध्यक्ष मानव संसाधन प्रबंधन (वीपी एचआरएम) सुरेश दत्त त्रिपाठी के साथ यूनियन अध्यक्ष पीएन सिंह, महामंत्री बीके डिंडा और डिप्टी प्रेसिडेंट संजीव कुमार चौधरी टुन्नू की बैठक हुई. बैठक में फिर से मंदी की बात कही गयी. प्रबंधन की ओर से बताया गया कि वर्तमान में कंपनी के हालात काफी खराब हैं.
अगले एक वर्ष तक स्थिति सुधरने के आसार नहीं हैं. यह भी बताया गया कि अन्य स्टील कंपनी के मुकाबले यहां वेज कॉस्ट काफी अधिक है. प्रबंधन ने यूनियन से इस पर सहयोग मांगा. वेज रिवीजन को लेकर प्रबंधन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वेज कॉस्ट कम किया जाये. प्रबंधन ने इसकी कटौती का प्रस्ताव टाटा वर्कर्स यूनियन को दिया है. सबसे ज्यादा जोर महंगाई भत्ता (डीए) पर दिया गया है. पिछले वित्तीय वर्ष के अनुपात में प्रबंधन ने आंकड़ा भी बता दिया है. उसमें बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2011-12 में कर्मचारियों की पेमेंट पर 3047 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे, जो वित्तीय वर्ष 2012-13 में बढ़ कर 3609 करोड़ हो गया.
इसमें 18.4} तक की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. प्रबंधन ने पूर्व में ही बताया था कि महंगाई भत्ता का समायोजन पिछली बार हुआ था. वह महंगाई भत्ता जीरो हो चुका था, जो उस वक्त 68.2 फीसदी हो गया था. समायोजन के बाद से अब तक महंगाई भत्ता फिर से बढ़कर पांच साल के बाद ही 78 फीसदी हो चुका है. इसके अलावा यह भी बताया गया कि ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (एआइसीपीआइ) से भी यह महंगाई भत्ता काफी ज्यादा बढ़ चुका है, जिसको रोकने की जरूरत है.
इस कारण वेतनमान में ज्यादा बढ़ोतरी करना संभव नहीं है. इस दौरान यह भी मैनेजमेंट ने संकेत दे दिये कि इस बार किसी भी हाल में एनजेसीएस के आधार पर या उसके बराबर का कोई समझौता नहीं होगा और यह भी साफ कर दिया कि पांच साल के लिए वेज रिवीजन नहीं होगा, ज्यादा समय के लिए वेज रिवीजन समझौता होगा. दस साल तक भी यह संभव है. मैनेजमेंट ने एलाउंस पर हो रहे अतिरिक्त खर्च को भी आधार बनाया और कहा कि एलाउंस में भी ज्यादा बढ़ोतरी की संभावना कम है.