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36th National Games 2022: गोल्ड जीतकर तीरंदाज गोल्डी मिश्रा ने बढ़ाया मान, पोकलेन ऑपरेटर हैं इनके पिता

36वें राष्ट्रीय खेल में स्वर्ण पदक जीतकर तीरंदाज गोल्डी मिश्रा ने झारखंड का नाम रोशन किया है. स्वर्ण पदक जीतने वाले गोल्डी ने कहा कि उनका लक्ष्य भारत के लिए खेलना व पदक जीतना है. वे मूल रूप से बोकारो के चंदनकियारी के रहने वाले हैं. उनके पिता पोकलेन ऑपरेटर हैं. परिवार की आर्थिक स्थित कमजोर है.

By Guru Swarup Mishra | October 9, 2022 6:12 PM
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36th National Games 2022: 36वें राष्ट्रीय खेल में स्वर्ण पदक जीतकर तीरंदाज गोल्डी मिश्रा ने झारखंड का नाम रोशन किया है. स्वर्ण पदक जीतने वाले गोल्डी ने कहा कि उनका लक्ष्य भारत के लिए खेलना व पदक जीतना है. वे मूल रूप से बोकारो के चंदनकियारी के रहने वाले हैं. उनके पिता पोकलेन ऑपरेटर हैं. परिवार की आर्थिक स्थित कमजोर है. इसके बावजूद इन्होंने तीरंदाजी में सोना जीतकर मान बढ़ाया है.

भारत के लिए खेलना व पदक जीतना है

आर्चरी के इंडियन राउंड में स्वर्ण पदक हासिल करने वाले गोल्डी मिश्रा के स्वागत के लिए झारखंड के टाटा नगर स्टेशन पर पूर्व खेलमंत्री आमर बाउरी और झारखंड सराकर के प्रतिनिधि के रूप में हरेंद्र सिंह मौजूद थे. शहर पहुंचने वाले खिलाड़ियों में हीरामुनी संकु, अन्नु, अनुष्का, मोहित व गोल्डी के अलावा कोच महेंद्र करमाली शामिल थे. स्वर्ण पदक हासिल करने वाले गोल्डी ने कहा कि उनका लक्ष्य भारत के लिए खेलना व पदक जीतना है. मूल रूप से चंदनकियारी के रहने वाले गोल्डी ने कहा कि अपने खेल को बेहतर करने के लिए अच्छी कोचिंग करना चाहते हैं.

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पोकलेन ऑपरेटर के बेटे हैं गोल्डी

36वें नेशनल गेम्स में झारखंड के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाले गोल्डी मिश्रा हर युवा उस युवा के लिए प्रेरणा हैं, जो अभाव में अपने सपने पूरा नहीं कर पाते हैं. इंडियन राउंड में स्वर्ण पदक हासिल करने वाले गोल्डी मिश्रा बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. गोल्डी के पिता दुलाल मिश्रा परिवार के भरण-पोषण के लिए पोकलेन ऑपरेट करते हैं. गोल्डी तीन बहन व एक भाई हैं. माता रेखा देवी घृहणी हैं. इंटर में पढ़ने वाले इस खिलाड़ी ने 2017 में आर्चरी की शुरुआत की थी.

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गरीबी को मात देकर जीता सोना

गोल्डी के कोच महेंद्र करमाली ने बताया कि बोकारो के चंदनकियारी में झारखंड सरकार ने डे-बोर्डिंग की शुरुआत थी. जहां पहली बार गोल्डी ट्रायल देने पहुंचे थे. उनमें शुरू से ही खास प्रतिभा थी. वह सब जूनियर, जूनियर सीनियर नेशनल के इंडियन राउंड में कई पदक जीत चुके हैं. वह ट्रेनिंग के लिए रोजाना दस किलोमीटर का सफर पैदल तय करते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर होने कारण उनके पास खुद का इक्यूपमेंट नहीं था. सेंटर में उपलब्ध इक्यूपमेंट के जरिये ही उन्होंने पदक हासिल किये. उन्होंने बताया कि भविष्य में गोल्डी झारखंड व भारत के लिए एक शानदार खिलाड़ी हो सकते हैं.

रिपोर्ट : निसार, जमशेदपुर

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