250 से भी ज्यादा बैंक खातों की होगी जांच

जमशेदपुर: आयकर विभाग द्वारा दीपक भालोटिया और उनके भाईयों के अलावा गिरधारीलाल देबुका एंड सन्स और छितरमल धूत एंड सन्स के ठिकानों पर की जा रही छापामारी दूसरे दिन शुक्रवार को समाप्त हो गई. अब तक इन लोगों के पास से 250 से ज्यादा के बैंक एकाउंट तीनों समूह के लोगों के पास है जबकि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 24, 2013 9:36 AM

जमशेदपुर: आयकर विभाग द्वारा दीपक भालोटिया और उनके भाईयों के अलावा गिरधारीलाल देबुका एंड सन्स और छितरमल धूत एंड सन्स के ठिकानों पर की जा रही छापामारी दूसरे दिन शुक्रवार को समाप्त हो गई. अब तक इन लोगों के पास से 250 से ज्यादा के बैंक एकाउंट तीनों समूह के लोगों के पास है जबकि 50 से अधिक बैंक लॉकर मिले हैं. इन सारे बैंक एकाउंट और लॉकरों की जांच बाद में की जायेगी, जिसके बाद अन्य राशि मिलने की बात सामने आ सकेगी.

आयकर विभाग के अन्वेषण विभाग की ओर से की गई छापामारी में कई जानकारियां मिली हैं. तीनों समूह के लोगों ने कुल 35 करोड़ रुपये के माल की टैक्स चोरी करने की बात स्वीकार की है. दो दिनों तक की गई छापामारी और लगातार हुई पूछताछ के बाद दीपक भालोटिया, नितेश धूत और बिनोद देबुका टूटे ने टैक्स चोरी के मामले को स्वीकार कर लिया.

दीपक भालोटिया के पास से छापामारी में कुल एक करोड़ छह लाख रुपये नगद मिले हैं जबकि आयकर विभाग ने यह दावा किया है कि और 40 करोड़ रुपये की राशि के कागजात मिले हैं. यही नहीं, फरजी कंपनियों के नाम पर 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की टैक्स चोरी करने और नगदी लेन-देन की बात को सिरे से छिपाई गयी है. आयकर विभाग के दो दिनों की तफ्तीश के बाद हवाला और मनी लांड्रिंग करने के मामले के पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं. नये सिरे से इसकी जांच की जायेगी, जिसके बाद ही कोई कार्रवाई की जायेगी.

35 करोड़ स्वीकारा, विभाग के पास कई जानकारी : डायरेक्टर
आयकर विभाग के पास कई जानकारियां हैं. 35 करोड़ रुपये (20 करोड़ दीपक भालोटिया एंड ब्रदर्स, 14 करोड़ गिरधारीलाल देबुका एंड सन्स और एक करोड़ छितरमल धूत एंड सन्स) की बात स्वीकार की गयी है. बैंक एकाउंट और लॉकरों की विस्तृत जांच अभी बाकी है. विभाग के पास कई सारी जानकारियां हैं, जिसकी पुष्टि होने में अभी समय लगेगा. लेकिन अभी छापामारी बंद कर दी गयी है और आगे की कार्रवाई अब प्रारंभ की जायेगी. मनी लांड्रिंग और हवाला कारोबार की जानकारी तो थी, लेकिन इसके पुख्ता सबूत नहीं मिले है. -संजय सिंह, निदेशक, आयकर विभाग अन्वेषण (बिहार-झारखंड)

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