पूर्वी सिंहभूम के 405 आंदोलनकारियों को चार माह से नहीं मिली पेंशन राशि, बकाया पांच करोड़ के पार

पूर्वी सिंहभूम जिला के 405 चिन्हित झारखंड आंदोलनकारियों को चार माह से पेंशन नहीं मिली है, जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तीन माह बीत जाने के बाद आंदोलनकारियों को उम्मीद थी कि पेंशन आ जायेगी

By Prabhat Khabar News Desk | August 22, 2024 11:31 PM

सीतारामडेरा में 15 सितंबर को आंदोलनकारियों को एक मंच पर लाने के लिए विचार गोष्ठी

जमशेदपुर :

पूर्वी सिंहभूम जिला के 405 चिन्हित झारखंड आंदोलनकारियों को चार माह से पेंशन नहीं मिली है, जिसके कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. तीन माह बीत जाने के बाद आंदोलनकारियों को उम्मीद थी कि पेंशन आ जायेगी, लेकिन अब अगस्त माह (चौथा) भी समाप्ति की ओर है. पूर्वी सिंहभूम के 405 आंदोलनकारियों को लगभग साढ़े चार से पांच करोड़ रुपये पेंशन मद में प्राप्त होंगे. बकाया पेंशन को लेकर झारखंड आंदोलनकारी मंच की गुरुवार को बिष्टुपुर मोदी पार्क के पास बैठक की गयी. बैठक में आंदोलनकारियों की कई समस्याओं-मांगों पर गंभीरता से चिंतन-मंथन किया गया. झारखंड आंदोलनकारी मंच के संयोजक संजय लकड़ा ने बताया कि सर्वसम्मति से तय किया गया कि 15 सितंबर को सीतारामडेरा स्थित आदिवासी एसोसिएशन हॉल में सुबह 10 बजे से पूर्वी सिंहभूम के झारखंड आंदोलनकारियों की एक बैठक-विचार संगोष्ठी आयोजित की जायेगी. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में आदिवासी कल्याण व परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ शामिल होंगे. विचार गोष्ठी का उद्देश्य सभी आंदोलनकारियों को एक मंच पर लाना है, ताकि भविष्य में झारखंड आंदोलनकारियों को अपना तथा अपने परिवार के लिए मूलभूत सरकारी एवं गैर सरकारी सुविधाएं कैसे लेना है, इस पर चर्चा की जायेगी. सभी आंदोलनकारियों से बैठक में उपस्थित होने की अपील की गयी है, ताकि आंदोलनकारियों के भविष्य को लेकर रणनीति बनायी जा सके. विचार गोष्ठी को सफल बनाने को लेकर अगली बैठक दो सितंबर को सीतारामडेरा-आदिवासी एसोसिएशन हॉल में की गयी जायेगी. मोदी पार्क में आयोजित बैठक में संजय लकड़ा, रविंदर मुर्मू, स्वपन कुमार सिंहदेव, अशोक महतो, लालू सरदार, एमएम नाग, सुधीर ओडिया, शंकर सामंता, मन्ना खान, मानकी बिरुआ, दुबराज हांसदा समेत काफी संख्या में आंदोलनकारी शामिल थे.

क्या कहते हैं झारखंड आंदोलनकारी मंच के संयोजक संजय लकड़ा

झारखंड आंदोलनकारियों की पेंशन राशि को लेकर सरकार के साथ लगातार पत्राचार किया जा रहा है. एक-दो माह यह सिलसिला ठीक चलता है, लेकिन फिर चार-पांच माह का बैकलॉग लग जाता है. सरकार को इस मामले के स्थायी समाधान के लिए एक कोष स्थापित करना चाहिए, जिससे किसी तरह की दिक्कतें नहीं हो पाये. झारखंड आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के पास काफी मामले लंबित हैं, जिनका समाधान जल्द किया जाना चाहिए.

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