तबाही के बीच जज्बे से किसानों ने फिर खड़ी की फसल

जमशेदपुर: पोटका-1 के चतरो गांव के किसान तीन महीने से खेतों में लगायी गयी सब्जियों की फसल को अपनी औलाद की तरह पाल रहे थे. लेकिन, इस माह की 6,7 व 8 तारीख को हुई बारिश व ओलावृष्टि ने सब मटियामेट कर दिया. उनकी हजारों की लागत व लाखों का मुनाफा आंखों के सामने पानी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2015 7:29 AM
जमशेदपुर: पोटका-1 के चतरो गांव के किसान तीन महीने से खेतों में लगायी गयी सब्जियों की फसल को अपनी औलाद की तरह पाल रहे थे. लेकिन, इस माह की 6,7 व 8 तारीख को हुई बारिश व ओलावृष्टि ने सब मटियामेट कर दिया. उनकी हजारों की लागत व लाखों का मुनाफा आंखों के सामने पानी में बह गया. आंखों के सामने अंधेरा छा गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. एक दूसरे को सहारा दिया और बची हुई फसल को खड़ा करने में जुट गये. आज नतीजा सामने है. जिन फसलों में थोड़ी सी भी जान बाकी थी, वे लहलहा रही हैं.

बेमौसम बारिश के बाद देश भर से आ रही हताशा की खबरों के बीच इस इलाके के किसानों का जज्बा नयी उम्मीद जगाती है. ‘प्रभात खबर’ की टीम ने गुरुवार को ऐसे ही कुछ गांवों का दौरा किया, जहां कुछ दिनों पहले फसलें तबाह हो गयी थी. बारिश के बाद अधिकांश फसलों के समूल बर्बाद होने के बाद किसान काफी मायूस हैं. हालांकि, उन्होंने इस मायूसी के बीच जीने का रास्ता निकाल लिया है.

किसानों ने बताया कि उनकी घरों का सव्रे तो प्रशासन के लोग कर चुके हैं, लेकिन फसल का सव्रे अभी तक नहीं किया गया. आपदा के बाद किसानों ने खुद अपनी फसलों का जायजा लिया और यह देखा कि किन फसलों को फिर से जिंदा किया जा सकता है. किसान बताते हैं कि लौकी, बैंगन, खीरा, ककड़ी व भिंडी जैसी फसलें तो लगभग पूरी तरह खत्म हो चुकी थीं, लेकिन नेनुआ, झिंगा, करेला आदि कुछ फसलों में उम्मीद बाकी थी. ऐसे में उन्होंने खुद से खेतों में लगे पानी को निकाला और लताओं को खाद तथा दवाएं देकर फिर से जिंदा करने की कोशिश शुरू कर दी. कोशिश रंग लायी और ये फसलें अब फिर से खड़ी हो चुकी हैं. हालांकि, इनमें फल आने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा.

162 घर वाले इस गांव में लगभग 18 किसान सब्जियों की खेती करते हैं. वह बातते हैं कि एक बीघा जमीन में सब्जी उत्पादित करने में करीब 8-10 हजार रुपये की लागत आती है. इसमें मेहनताना जुड़ा हुआ नहीं है. अगर, फसल सही आती है तो तकरीबन 30-35 हजार रुपये प्रति बीघा के हिसाब से सब्जियों का उत्पादन होता है. लेकिन, इस बारिश और ओलावृष्टि ने सबकुछ बर्बाद कर दिया. करीब 90 प्रतिशत फसल बर्बाद हो चुकी है. 10 प्रतिशत उसी फसल से आशा है, जो अब हरी दिख रही है.

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