यूनियन की मान्यता खतरे में

जमशेदपुर: टेल्को वर्कर्स यूनियन की मान्यता रद्द होने को लेकर एक बार फिर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. श्रमायुक्त सह निबंधक श्रमिक संघ पूजा सिंघल की ओर से टेल्को वर्कर्स यूनियन को अंतिम चेतावनी दी गयी है. यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह और यूनियन महामंत्री चंद्रभान सिंह को नोटिस दी गयी है, जिसमें कहा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2013 8:25 AM

जमशेदपुर: टेल्को वर्कर्स यूनियन की मान्यता रद्द होने को लेकर एक बार फिर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. श्रमायुक्त सह निबंधक श्रमिक संघ पूजा सिंघल की ओर से टेल्को वर्कर्स यूनियन को अंतिम चेतावनी दी गयी है. यूनियन के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह और यूनियन महामंत्री चंद्रभान सिंह को नोटिस दी गयी है, जिसमें कहा गया है कि क्यों नहीं यूनियन की मान्यता रद्द कर दी जाये.

इसके लिए दो माह के अंदर स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है. इस मामले को लेकर विपक्ष के नेता एके पांडेय ने विक्षुब्द लोगों की एक बैठक बुला दी है. रविवार की शाम साढ़े छह बजे यह बैठक बुलायी गयी है. श्रमायुक्त को टेल्को वर्कर्स यूनियन की ओर से पदधारकों का चुनाव कराकर पंजी बी (रजिस्टर बी) में दर्ज करने के लिए अनुरोध किया गया है. यह चुनाव वर्ष 2011-2014 के लिए कराने की बात कही गयी थी. श्रमायुक्त ने अपने पत्र में बताया है कि टेल्को वर्कर्स यूनियन के पत्र के आलोक में श्रमिक संघ अधिनियम 1926 के प्रावधानों और यूनियन के निबंधित संविधान के अनुसार चुनाव कराये जाने के सवाल पर निबंधक श्रमिक संघ के स्तर पर जांच पड़ताल की गयी. साथ ही महाधिवक्ता झारखंड से विधि-परामर्श प्राप्त किया गया.

इससे स्पष्ट हुआ है कि टेल्को वर्कर्स यूनियन के निबंधित संविधान में चुनाव संचालन के लिए नियमावली बनाने का अधिकार कार्यकारिणी समिति को नहीं है. कोई भी नया नियम बनाने या संविधान में संशोधन करने के लिए आमसभा का अनुमोदन अनिवार्य है. इस कारण श्रमिक संघ का वर्ष 2011-2014 के लिए पदधारकों का चुनाव संचालन जिस नियमावली के तहत कराया गया, वह नियमावली आमसभा द्वारा अनुमोदित नहीं पायी गयी थी.

इस कारण आमसभा के अनुमोदन के बिना बनायी गयी नियमावली के आधार पर कराये गये चुनाव की प्रक्रिया को निबंधित संविधान के प्रावधान के विपरीत पाया गया और रजिस्टर बी में दर्ज करने योग्य इसे नहीं पाया गया. इसके बाद टेल्को वर्कर्स यूनियन द्वारा निबंधक श्रमिक संघ द्वारा दिये गये निर्देश के आलोक में न तो नियमानुसार चुनाव कराया गया और न ही संविधान संशोधन को आमसभा में ही पारित कराया गया. क्या प्रक्रिया अपनायी जा रही है, इसकी सूचना तक नहीं दी गयी.

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