राज्य गठन तिथि को स्थानीयता आधार मानने को तैयार थे हेमंत

जमशेदपुर: हेमंत सोरेन की सरकार झारखंड गठन (15 नवंबर, 2000) के दौरान राज्य में रहने वालों को स्थानीय मानने को तैयार थी. इस मामले में विधानसभा में बहस की मंजूरी देने की विस अध्यक्ष तैयारी कर रहे थे, लेकिन हेमंत सोरेन इसे रोकवा दिया. उक्त बातें भाजपा विधायक योगेश्वर प्रसाद बाटुल ने कही. वे मंगलवार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 13, 2015 8:24 AM
जमशेदपुर: हेमंत सोरेन की सरकार झारखंड गठन (15 नवंबर, 2000) के दौरान राज्य में रहने वालों को स्थानीय मानने को तैयार थी. इस मामले में विधानसभा में बहस की मंजूरी देने की विस अध्यक्ष तैयारी कर रहे थे, लेकिन हेमंत सोरेन इसे रोकवा दिया. उक्त बातें भाजपा विधायक योगेश्वर प्रसाद बाटुल ने कही. वे मंगलवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भाजपा का मानना है कि 1985 को आधार वर्ष मान कर स्थानीयता नीति बने.
झारखंड में स्थानीयता पाने की इच्छा रखने वाले लोग (जिनका पैतृक आवास झारखंड में नहीं है) माइग्रेशन सर्टिफिकेट के साथ आवेदन करें. उन्हें स्थानीयता दी जायेगी. बिहार के कानून में भी ऐसा प्रावधान है. उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है. एक व्यक्ति दो राज्यों का स्थानीय नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि स्थानीयता एक गंभीर मसला है. सरकार प्रस्ताव तैयार करे. इस पर सदन में चर्चा हो. सभी विधायकों का विचार रिकार्ड किया जाये. स्थानीयता नीति पर राज्य सरकार ओड़िशा, बिहार और छत्तीसगढ़ की नीति का अध्ययन कर रही है. बाबूलाल मरांडी जो स्थानीयता नीति लाये थे, वह सही थी. उसे पेश करने का तरीका सही नहीं था.
मंत्री पद नहीं मिलने का अफसोस नहीं: हेमंत सरकार के हैवीवेट मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह को हराने वाले योगेश्वर प्रसाद बाटुल ने कहा कि मंत्री नहीं बनाने का उन्हें अफसोस नहीं है. वे संतोष पर विश्वास करते हैं. उन्हें जो दायित्व प्रदान किया गया है, वे उसका निर्वाह कर रहे हैं.
झामुमो अपने सिद्धांत से भटका: श्री बाटुल ने कहा कि वे पूर्व में झामुमो के सदस्य रहे. पार्टी अपनी नीति और सिद्धांत से भटक गयी है. इस कारण वे भाजपा में शामिल हो गये. राष्ट्रीय पार्टियां राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर काम करती है. वहीं क्षेत्रीय पार्टियों का राष्ट्रीय मुद्दों से सरोकार नहीं होता है. सरकार की ताबड़तोड़ घोषणाओं पर श्री बाटुल ने कहा कि रघुवर सरकार ने अपनी प्राथमिकताएं तय की है. इस पर नीतिगत निर्णय लिये जा रहे हैं.
आर्थिक आधार पर मिले आरक्षण: विधायक ने कहा कि आर्थिक के आधार पर आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. आज काफी आदिवासी अमीर है, लेकिन उन्हें भी इसका लाभ मिल रहा है. कुड़मी को आदिवासी सूची में शामिल करने के मामले में हेमंत सरकार ने गलत रिपोर्ट बनायी है. उनका मानना है कि आदिवासी का लाभ मिलने से ही उनकी स्थिति अच्छी होगी.

Next Article

Exit mobile version