नोबेल पुरस्कार के समय गुरुदेव के साथ थे एससी कर
।।रीमा डे।।जमशेदपुरः सोनारी स्थित विजया शताब्दी निवासी समीत कर के दादाजी स्व. श्यामाचरण कर को कई बार कविगुरू रवींद्रनाथ ठाकुर को काफी करीब से देखने एवं जानने का मौका मिला. उस समय श्यामाचरण कर ने जापान के ओसाका शहर में ग्लास कंपनी शुरू की थी. श्री कर को साहित्य से काफी लगाव था. यही कारण […]
।।रीमा डे।।
जमशेदपुरः सोनारी स्थित विजया शताब्दी निवासी समीत कर के दादाजी स्व. श्यामाचरण कर को कई बार कविगुरू रवींद्रनाथ ठाकुर को काफी करीब से देखने एवं जानने का मौका मिला.
उस समय श्यामाचरण कर ने जापान के ओसाका शहर में ग्लास कंपनी शुरू की थी. श्री कर को साहित्य से काफी लगाव था. यही कारण था कि श्यामचरण कर की मुलाकात रवींद्रनाथ से उनके जापान सफर के दौरान हुई. मुलाकात दोस्ती में बदली और इसके बाद जापान स्थित एससी कर के आवास में बंग साहित्य परिषद की स्थापना की गयी. जिसका उद्घाटन कविगुरू रवींद्रनाथ ठाकरु ने 29 मई 1916 को किया. एससी कर के साहित्य प्रेम को देख रवींद्रनाथ ठाकुर ने पत्र लिख कर भारत लौटने एवं ग्लास उद्योग निर्माण की बात कही. टैगोर का संदेश मिलते ही एससी कर भारत लौटे और पश्चिम बंगाल के दमदम में ग्लास कंपनी की शुरुआत की. श्री कर बहुमुखी जीवन का सबसे बड़ा बिंदु था रवींद्रनाथ ठाकुर का सानिध्य. भारत लौटने के बाद श्री कॉर का अधिकांश समय कविगुरु के साथ बीता. वर्ष 1913 में कवि गुरु रवींद्रनाथ ठाकुर को जब नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा था. उस समय श्यामाचरण कर गुरुदेव के साथ ही थे. कर परिवार के पास उस समय की एक तसवीर मौजूद है, जिसमें एससी कर, रवींंद्रनाथ टैगोर एवं जापानी कोजी हायाशी हैं.
तसवीर को 1989 में मिला बेस्ट मोमेंटो का खिताब
वर्ष 1989 में इस रवींद्रनाथ के साथ एससी कर की दुर्लभ तसवीर को ह्यबेस्ट मोमेंटोस ऑफ द इयर ह्ण का अवार्ड मिला है. एससी कार के पुत्र स्व. शैलेश कुमार टाटा स्टील में कार्यरत थे एवं शैलेश कुमार के बेटे व एससी कर के पोते समित कुमार कर बंगाली युवा समिति के सचिव एवं पर्यावरण व प्रदूषण प्रोजेक्ट पर कार्यरत हैं.
संग्रहालय के लिए चयनित हुई है तसवीर
समीत कर द्वारा शांतिकेतन में भेजी गयी तसवीर को शांतिनिकेतन के रवींद्र संग्रहालय के लिए चयनित कर ली गयी है. शांतिकेतन की ओर से 13.8.12 समीत कर को पत्र के माध्यम से तसवीर चयनित होने की सूचना दी गयी है.
राधाकृष्णन ने किया था टैगोर सोसाइटी का शिलान्यास
जमशेदपुर त्र19 फरवरी, वर्ष1961,जब पूरे देश में टैगोर सेलिब्रेशन कमेटी की ओर से कविगुरु रवींद्रनाथ ठाकुर की जन्मशतवार्षिकी मनायी जा रही थी उस समय गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के भतीजे सौमेंद्रनाथ ठाकुर जमशेदपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में लोगों से एक ऐसी संस्था बनाने का आह्वान कर रहे थे, जो गुरुदेव रविंद्रनाथ के विचारों व आर्दशों को जन-जन तक पहुंचाने का काम करें. सौमेंद्रनाथ के विचारों से प्रभावित होकर बाद में स्थानीय बंगाली समुदाय के चिकित्सक व संस्कृति सेवी डॉ ब्रह्माप्रसाद मुखोपाध्याय, निर्मल चटर्जी, वैद्यनाथ सरकार आदि गणमान्य लोगों ने इस लौहनगरी में टैगोर सोसाइटी की स्थापना का निर्णय लिया. टैगोर सोसाइटी के लिए टाटा स्टील ने जुबिली पार्क के समीप जमीन दी,जिसका शिलान्यास तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन ने और नींव टाटा स्टील के मैनेजिंग डायरेक्टर जहांगीर गांधी ने रखी. सोसाइटी के संस्थापक सचिव निर्मल चटर्जी बने. कुछ दिनों बाद टाटा स्टील के एकाउंट डिवीजन के हेड एके बोस को सचिव पद एवं बी मुखर्जी को अध्यक्ष मनोनीत किया गया. पहले चरण में कला-संस्कृति का विस्तार करने एवं लोगों को कला से जोड़ने के लिए रवींद्र कला मंदिर का गठन किया गया. नृत्य की हर शैली भरतनाट्यम, ओडिशी, कत्थक आदि का प्रशिक्षण शुरू किया गया. शहर के नृत्यकला केेंद्र, संगीत प्रतिष्ठान, रवींद्र परिषद, नृत्य निकेतन, रवींद्र संसद, संस्कृति केंद्र झंकार आदि संस्थाओं ने सम्मिलित रूप से ह्यटैगोर सोसाइटीह्ण को एक नया स्वरूप प्रदान किया. सोसाइटी में कोलकाता, शांतिनिकेतन, पटना आदि से शिक्षकों को नियुक्ति की गयी. वर्ष 1985 से टैगोर सोसाइटी के प्रांगण में पुस्तक मेलो की शुरुआत की गयी. टैगोर सोसाइटी में हबबी तनबीर जैसे प्रसिद्ध नाटककारों ने यहां अपने नाटक का मंचन किया है. हिंदी, बंगला के साथ-साथ यहां अंग्रेजी ड्रामा का भी मंचन किया गया.
रवींद्र भवन की है अलग पहचान
1967 में बनकर तैयार हुए रवींद्र भवन का उदघाटन निखिल भारत हस्तशिल्प परिषद की सभानेत्री कमला देवी चट्टोपाध्याय ने किया था. इस दौरान टैगोर स्कूल ऑफ म्यूजिक, डांस, ड्रामा, आर्ट एंड क्राफ्ट की भी शुरुआत हुई. वर्तमान समय में टैगोर स्कूल ऑफ म्यूजिक, आर्ट एडं क्राफ्ट के नाम से छह सेंटर, टेल्को, कदमा, बारीडीह, केबुल, एनएमएल, साकची आदि में चल रहे हैं.