टाटा में होती जांच, तो लुटने से बच जाते यात्री

जमशेदपुर: टाटा से पूर्णिया जा रही बस में रविवार को बिहार के बांका (रजाैन क्षेत्र में स्टेट हाइवे) में डकैती की घटना ने लंबी दूरी की बसों में बरती जा रही सुरक्षा की पोल खोल दी. डकैती की घटना को अंजाम देने के लिए तीन अपराधी टाटा से और दो बासुकीनाथ से बस पर चढ़े […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2015 7:34 AM

जमशेदपुर: टाटा से पूर्णिया जा रही बस में रविवार को बिहार के बांका (रजाैन क्षेत्र में स्टेट हाइवे) में डकैती की घटना ने लंबी दूरी की बसों में बरती जा रही सुरक्षा की पोल खोल दी. डकैती की घटना को अंजाम देने के लिए तीन अपराधी टाटा से और दो बासुकीनाथ से बस पर चढ़े थे. चालक पर पिस्तौल तान कर पांचों ने यात्रियों से लूटपाट की. अगर टाटा में बस की जांच हुई होती, तो शायद यात्री लुटने से बच जाते. ऐसे में अब यह कहना मुश्किल है कि अपराधियों द्वारा विस्फोटक, हथियार अथवा कोई भी आपत्तिजनक सामान को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बसों को इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.

बस स्टैंड, कालीमंदिर के पास जांच लंबे अरसे से बंद : मानगो बस स्टैंड से चलने वाली यात्री बसों की पुलिस नियमित जांच नहीं करती. बस स्टैंड से बिहार, ओड़िशा और बंगाल मार्ग पर प्रतिदिन लगभग 350 बसें चलती हैं. पहले स्टैंड से खुलने वाली लंबी दूरी की बसों की जांच स्टैंड और बिहार जाने वाली लंबी दूरी की बसों की जांच पारडीह काली मंदिर के समीप पुलिस किया करती थी. लेकिन लंबे अरसे से मानगो बस स्टैंड और पारडीह काली मंदिर के समीप बसों की चेंकिंग बंद है.

नहीं होता है कर्मचारियों के चरित्र का सत्यापन

मानगो बस स्टैंड और शहर में चलने वाली बसों के कर्मचारियों के चरित्र का सत्यापन नहीं होता है. जबकि हाइकोर्ट के आदेश के बाद सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था पर विशेष फोकस कर कर्मचारियों के चरित्र का सत्यापन कराने का आदेश दिया गया था. शहर में भी बसों के कर्मचारियों के चरित्र का सत्यापन थाना स्तर से कराने की योजना बनायी गयी थी, लेकिन योजना धरातल पर उतर नहीं सकी. इस कारण बसों में कार्यरत कर्मचारियों के पूर्व के आपराधिक इतिहास का भी पता नहीं चल सकता है.

स्टैंड में खोला गया है पोस्ट

मानगो बस स्टैंड में आने वाले यात्रियों की सुरक्षा के लिए स्टैंड में पुलिस पोस्ट खोला गया है, लेकिन पोस्ट में तैनात पुलिसकर्मी यात्रियों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते. उनका ध्यान बसों में आने-जाने वाले पार्सल सामान पर ज्यादा रहता है. पुलिसकर्मी बसों की जांच भी नहीं करते हैं.

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