टाटा स्टील के टॉप अधिकारियों ने की तीन दिनों तक मंत्रणा, वित्तीय वर्ष का वर्कप्लान तैयार
जमशेदपुर : टाटा स्टील आने वाले माह में अपने खर्च में कटौती करेगी और क्वालिटी प्रोडक्शन के साथ कर्मचारियों और अधिकारियों की भी प्रोडक्टिविटी बढ़ायेगी. इसे लेकर तीन दिनों तक टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन समेत तमाम वरीय अधिकारियों के बीच डिमना गेस्ट हाउस में मंथन हुआ. मंत्रणा की गयी. इस दौरान पूरे वित्तीय […]
जमशेदपुर : टाटा स्टील आने वाले माह में अपने खर्च में कटौती करेगी और क्वालिटी प्रोडक्शन के साथ कर्मचारियों और अधिकारियों की भी प्रोडक्टिविटी बढ़ायेगी. इसे लेकर तीन दिनों तक टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन समेत तमाम वरीय अधिकारियों के बीच डिमना गेस्ट हाउस में मंथन हुआ.
मंत्रणा की गयी. इस दौरान पूरे वित्तीय वर्ष की कार्य योजना तैयार की गयी. एक जून से नये वित्तीय वर्ष के लिए काम तेज करना है. इसके साथ ही एजीएम की भी तैयारियों को यहां अंतिम रूप दिया गया. सारे आइएल 1 व आइएल 2 स्तर के अधिकारी इस मीटिंग में मौजूद थे.
बाजार को और गति देने का प्रयास
भारत सरकार द्वारा लाये जा रहे संसाधन को बढ़ाने की योजनाओं को भी धरातल पर उतारने के लिए कदम उठाया जा रहा है. इसमें टाटा स्टील की भागीदारी को सुनिश्चित करने और इसमें भी नया बाजार तलाशने को कहा गया है. नये बाजार को कैसे कंपनी बेहतर तरीके से अपने अनुकूल बना सकती है, इसकी भी रणनीति बनायी गयी है.
कलिंगानगर प्रोजेक्ट इसी वर्ष में धरातल पर उतारेंगे
मीटिंग में तय किया गया कि ओड़िशा के कलिंगानगर प्रोजेक्ट पर तेजी से काम किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट को इसी वर्ष धरातल पर उतारा जाना है.इस पर युद्धस्तर पर काम करने की तैयारी की जा रही है. टाटा स्टील ने जमशेदपुर प्लांट के विस्तारीकरण पर 22 हजार करोड़ जबकि कलिंगानगर में 40 हजार करोडे का निवेश किया है.
रॉ मैटेरियल के संकट से निबटने पर मंथन
मीटिंग के दौरान खनिज संपदा (रॉ मैटेरियल) के संकट से कैसे निबटा जाना है, इसकी रणनीति तैयार की गयी है.
कोयला की क्वालिटी व आयरन ओर को लेकर भी विचार किया गया कि आने वाले दिनों में अगर कोयला या आयरन ओर का संकट उत्पन्न होता है तो क्या किया जा सकता है. इसका बेहतर इस्तेमाल करने और तकनीकी तौर पर साउंड लोगों को इस काम में लगाने को कहा गया है.
जमशेदपुर प्लांट के विस्तार के क्लियरेंस पर चर्चा
टाटा स्टील के जमशेदपुर में प्लांट का प्रोडक्शन 10 मिलियन टन से ज्यादा है. वर्तमान में 10.55 मिलियन टन तक का प्रोडक्शन के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति कंपनी को मिली हुई है.
आने वाले दिनों में अगर पर्यावरण मंत्रलय की ओर से क्लियरेंस मिल जाता है तो निश्चित तौर पर यहां प्रोडक्शन बढ़ेगा और इसको 11 से 12 मिलियन टन के बीच रखने की संभावना है. इसको लेकर आवेदन दिया गया है. भारत सरकार ने कुछ सवाल पूछे थे, जिसका जवाब कंपनी ने सौंप दी है.