13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आज से श्रद्ध-तर्पण कर पितरों को प्रसन्न करें

जमशेदपुर: इस वर्ष पितृपक्ष गुरुवार (19 सितंबर) को पूर्णिमा अपराह्न् 4:51 बजे समाप्त होने के बाद आरंभ हो रहा है जो आश्विन अमावस्या (शुक्रवार, 4 अक्तूबर) तक रहेगा. पितृपक्ष के दौरान पितरों के श्रद्ध, तर्पण आदि के द्वारा पितरों के ऋण से मुक्ति का उद्यम किया जाता है. क्या है पितृपक्षमनुष्य पर तीन तरह के […]

जमशेदपुर: इस वर्ष पितृपक्ष गुरुवार (19 सितंबर) को पूर्णिमा अपराह्न् 4:51 बजे समाप्त होने के बाद आरंभ हो रहा है जो आश्विन अमावस्या (शुक्रवार, 4 अक्तूबर) तक रहेगा. पितृपक्ष के दौरान पितरों के श्रद्ध, तर्पण आदि के द्वारा पितरों के ऋण से मुक्ति का उद्यम किया जाता है.

क्या है पितृपक्ष
मनुष्य पर तीन तरह के ऋण होते हैं, देव ऋण, ऋषि ऋण तथा पितृ ऋण. देव एवं पितृ ऋण तो नहीं चुकाये जा सकते, लेकिन पितृ ऋण श्रद्ध के माध्यम से उतारा जा सकता है तथा हिंदू धर्म में ऐसा करना अत्यावश्यक माना गया है. जिन्होंने हमारी आयु, आरोग्य एवं सुख की वृद्धि के लिए कितने ही यत्न एवं प्रयास किये, उनके ऋण से मुक्त नहीं होने पर हमारा जन्म लेना निर्थक है. उनका ऋण उतारने में बहुत खर्च भी नहीं है, केवल वर्ष भर में उनकी मृत्यु तिथि को सर्व सुलभ जल, तिल, जाै, कुश, पुष्प आदि से श्रद्ध संपन्न करने और गौ ग्रास देकर एक, तीन या पांच की संख्या में ब्राrाणों को भोजन कराने मात्र से उनका ऋण उतर जाता है. अत: इस सरल साध्य कार्य की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए. इसके लिए जिस तिथि को माता-पिता आदि पूर्वजों की मृत्यु हुई हो, उस तिथि को श्रद्ध आदि अवश्य करायें. इसके अलावा आश्विन कृष्ण (महालया या पितृपक्ष) में भी उस तिथि को श्रद्ध, तर्पण, गौ ग्रास आदि कराने के बाद ही भोजन ग्रहण करें. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं तथा हमारे सौभाग्य की वृद्धि होती है.

क्या करें पितृपक्ष में
पितृपक्ष के 16 दिनों (महालया) के दौरान साधारण गृहस्थों को सात्विक आहार, सात्विक आचार-विचार के साथ रहना चाहिए. इसके अलावा प्रात: काल स्नानोपरांद किसी पात्र में जल लेकर उसमें तिल एवं कुश डाल कर दक्षिणाभिमुख होकर बैठ कर पितरों का आवाहन करें. इसके बाद पात्र के जल को अंजलि में लेते हुए अंगूठे एवं तजर्नी के बीच से तर्पण करें. यह विधि पूरे दिन (सोलहों दिन) करना चाहिए. इसके अलावा पितर के निधन की तिथि को पितर का आवाहन कर उन्हें दातुन, वस्त्र आदि अर्पित करने के पश्चात उन्हें ग्रास के रूप में सफेद मीठा चावल तथा उनकी पसंद के व्यंजन बना कर पत्तल में रख कर गौ को खिलायें. इसमें तर्पण सबसे जरूरी होता है, जिससे पितर हर्षित होते हैं.

क्या है मान्यता
मान्यता के अनुसार पितर साल में एक बार पितृपक्ष में पृथ्वी पर आते हैं. इस दौरान जो तर्पण नहीं करता, उसके पितर रुष्ट होते हैं, जिसके कारण उस व्यक्ति के सभी कार्यो में अवरोध शुरू हो जाता है. मध्याह्न् के बाद, सूर्यास्त से पहले करें श्रद्ध: पितृ श्रद्ध दिन में मध्याह्न् के पश्चात ही आरंभ करना चाहिए. इसी तरह इसकी विधि सूर्यास्त से पूर्व संपन्न हो जानी चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें