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मरीज और बेड बढ़े, नहीं मिला संसाधन

फ्लैग-एमजीएम : शिशु वार्ड में 10 वर्ष से नहीं हुई बहाली – 2006 में अलग बना बच्चों का इमरजेंसी वार्ड – एसी तो दूर पंखा भी ठीक से नहीं चल रहा- शिशु इमरजेंसी वार्ड में हर दिन 30 से 40 बच्चों का होता है इलाज संवाददाता, जमशेदपुरएमजीएम अस्पताल में बच्चों को बेहतर चिकित्सा देने के […]

फ्लैग-एमजीएम : शिशु वार्ड में 10 वर्ष से नहीं हुई बहाली – 2006 में अलग बना बच्चों का इमरजेंसी वार्ड – एसी तो दूर पंखा भी ठीक से नहीं चल रहा- शिशु इमरजेंसी वार्ड में हर दिन 30 से 40 बच्चों का होता है इलाज संवाददाता, जमशेदपुरएमजीएम अस्पताल में बच्चों को बेहतर चिकित्सा देने के लिए 2006 में शिशु इमरजेंसी वार्ड बनाया गया, लेकिन तब से अबतक वार्ड में स्थायी नर्स सहित अन्य स्टाफ की नियुक्ति नहीं हुई है. इस कारण बच्चों के इलाज में परेशानी हो रही है. यहां शिशु वार्ड के नर्स से कार्य लिया जा रहा है. इन नर्सों को शिशु वार्ड और शिशु इमरजेंसी वार्ड दोनों में कार्य करना पड़ता है. एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) के गाइड लाइन के अनुसार अस्पताल के शिशु वार्ड की क्षमता बढ़ाकर 60 बेड की कर दी गयी, लेकिन कर्मचारियों की संख्या पूर्व की भांति है. शिशु इमरजेंसी वार्ड में चिकित्सकीय उपकरण भी पुराने हो गये हैं. हाल यह है कि उपकरणों को ठीक से धोने के लिए पानी भी नहीं मिलता है. इस संबंध में विभागाध्यक्ष डॉ बीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि इसके लिए कई बार अधीक्षक को लिखकर दिया गया, लेकिन आज तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि टेक्नीशियन नहीं रहने के कारण विभाग में रखा उपकरण भी खराब हो रहा है. क्या है कमी – बच्चों के इमरजेंसी वार्ड में नहीं है अलग से ऑपरेशन थियेटर – शिशु इमरजेंसी वार्ड में बैठने की जगह तक नहीं

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