हेडिंग::: बचपन से दें भक्ति के संस्कार : स्वामी दिव्यानंद(फोटो ऋषि की होगी)लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर सद्गुरु के पास पहुंच कर शिष्य के संदेह समाप्त हो जाते हैं. उसमें भी शिष्य राजा परीक्षित की तरह समर्पित और गुरु शुकदेव जी की तरह परम ज्ञानी हो तब शिष्य की शंकाओं के समाधान में कोई संशय नहीं रह जाता. उक्त बातें सोमवार संध्या माइकल जॉन प्रेक्षागृह में आर्ट ऑफ लिविंग के स्वामी दिव्यानंद जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहीं. वह श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे. सोमवार को दूसरे दिन की कथा में उन्होंने भगवान के कपिलावतार, वराहावतार के साथ ही भक्त राज ध्रुव के चरित का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि हमें पूरी तरह नि:स्वार्थ भाव से तीर्थों की यात्रा करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि तीर्थों में परमात्मा का वास होता है, वहां तुच्छ स्वार्थ के साथ जाने की बजाय परम तत्व की प्राप्ति, परमात्मा के प्रति प्रेम के भाव से जाना चाहिए, ताकि जीवन संवर सके. इसी तरह ध्रुव चरित की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बचपन से ही भक्ति के संस्कार बच्चों में डाले जाने चाहिए. भक्तराज ध्रुव ने छोटी अवस्था में कैसे दृढ़ संकल्प के साथ ईश्वर की भक्ति की उसी प्रकार सभी बच्चों को ईश्वर प्रेम का अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि मानव का जन्म मिला ही ईश्वर की भक्ति करने के लिए हुआ है. उन्होंने कहा कि बच्चों को विज्ञान के साथ ही अध्यात्म से भी जोड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत घर से ही होनी चाहिए, तभी देश में अच्छे नागरिक तैयार होंगे. स्वामीजी ने कथा के बीच-बीच में सुमधुर गीतों के माध्यम से वातावरण को अत्यंत सरस भक्ति की चासनी में भिगोये रखा.
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माइकल जॉन प्रेक्षागृह : आर्ट ऑफ लिविंग के भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का दूसरा दिन
हेडिंग::: बचपन से दें भक्ति के संस्कार : स्वामी दिव्यानंद(फोटो ऋषि की होगी)लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर सद्गुरु के पास पहुंच कर शिष्य के संदेह समाप्त हो जाते हैं. उसमें भी शिष्य राजा परीक्षित की तरह समर्पित और गुरु शुकदेव जी की तरह परम ज्ञानी हो तब शिष्य की शंकाओं के समाधान में कोई संशय नहीं रह जाता. […]
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