जुमा को 1000 लोग अदा करते हैं सामूहिक नमाज

जमशेदपुर: जुगसलाई के हबीब नगर में स्थित मसजिद-ए-नबिहन में पांच सौ से अधिक लोग पांचों वक्त नमाज अदा करते हैं. यह मसजिद खूबसूरत मार्बल, बेहतर साफ-सफाई, व्यवस्थित वजूखाना व कुशल प्रबंधन की वजह से अपनी अलग पहचान रखती है. मरहूम हाजी अब्दुल मजीद की निजी जमीन (लगभग 20 कट्ठा) में 6 फरवरी 2011 को उत्तरप्रदेश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 25, 2015 8:33 AM
जमशेदपुर: जुगसलाई के हबीब नगर में स्थित मसजिद-ए-नबिहन में पांच सौ से अधिक लोग पांचों वक्त नमाज अदा करते हैं. यह मसजिद खूबसूरत मार्बल, बेहतर साफ-सफाई, व्यवस्थित वजूखाना व कुशल प्रबंधन की वजह से अपनी अलग पहचान रखती है. मरहूम हाजी अब्दुल मजीद की निजी जमीन (लगभग 20 कट्ठा) में 6 फरवरी 2011 को उत्तरप्रदेश के मुबारक जाम-ए-अशरफिया अजीज ए मिल्लत अब्दुल हफीज ने इसकी संग ए बुनियाद रखी थी.

हाजी अब्दुल मजीद एवं स्थानीय लोगों के सहयोग से 9 मार्च 2012 को नियमित रूप से यहां पंचगणना नमाज शुरू की गयी. मसजिद की दूसरी मंजिल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है. इसके निर्माण में हरियाणा के मार्बल व पत्थर का उपयोग हुआ है. जुमे के दिन यहां एक हजार से अधिक लोग सामूहिक नमाज अदा करते हैं. मसजिद ए नबिहन के प्रमुख रहे हाजी अब्दुल मजीद के इंतकाल के बाद उनके पुत्र मोहम्मद मुस्तफा यहां की धार्मिक गतिविधियों का संचालन करते हैं.

दूसरी मंजिल का निर्माण इसी माह
मसजिद -ए -नबिहन हाजी अब्दुल मजीद की मां मरहूम नबिहन बीबी की याद में बनायी गयी. इस लिए मसजिद के साथ उनका नाम जोड़ा गया है. दूसरी मंजिल के निर्माण कार्य को ईद से पहले पूरा कर लिया जायेगा. मसजिद परिसर में ही मदरसा जामिया-हबीबीया महबूब- ए- सुबहानी की तामीर और छात्रवास बनाया गया है, जिसमें स्थायी रूप से झारखंड के कई जिलों के बच्चे दीनी और दुनियावी तालिम हासिल कर रहे हैं. बच्चों के लिए अलग से कमरों का निर्माण कराया गया है. इसकी देखभाल का जिम्मा मसजिद कमेटी के लोगों का है. मसजिद के संचालन की जिम्मेदारी नमाजियों और आसपास के लोगों के सहयोग से पूरी की जाती है.
– मौलाना अबरार कैसर, निगरान मसजिद ए नबिहन
रोजा के लिए फितरा, माल के एवज में जकात की व्यवस्था : मौलाना कारी मनव्वर सईद ने कहा कि रमजानुल मुबारक के मुकद्दस माह में कुरान- ए- पाक नाजिल किया गया. हजरत जिबरइल अमीन जरूरत पड़ने पर किस्तों में अल्लाह के संदेशों को लाते रहे. पैगंबर- ए- इसलाम के पाक सदके में रमजान और उसके रोजे मुसलिम समुदाय को प्राप्त हुए. उन्हीं के तुफैल में कुरान मिला, रमजान का मुबारक महीना मिला. पूरी कायनात का वजूद अमल में आया. अल्लाह ने अपने हबीब पैगंबर (सअ) के सदके में आसमान से लेकर जमीन तक, हवा से लेकर पानी तक सब कुछ नेमतें दुनिया में और आखरत में अल्लाह ने इनसानांे को अता की. रमजान के रोजे फर्ज किये गये, नेकियां 70 गुणा बढ़ा दी गयी. यह महीना खैरो बरकत का महीना है रोजे के साथ फितरा और माल के एवज में जकात की व्यवस्था की गयी है.

Next Article

Exit mobile version