निकोटीन कैंसर का कारण

जमशेदपुर: दिल्ली से आये डॉक्टर चिंतामणि ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में काफी बदलाव आया है. सबसे अधिक बदलाव सजर्री के क्षेत्र में हुआ है. जटिल रोगों का इलाज भी आसानी से संभव हो सका है. मरीज समेत डॉक्टरों को भी इसका सीधा लाभ मिल रहा है. डॉ चिंतामणि शुक्रवार को टीएमएच के सजर्री डिपार्टमेंट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2015 9:52 AM

जमशेदपुर: दिल्ली से आये डॉक्टर चिंतामणि ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में काफी बदलाव आया है. सबसे अधिक बदलाव सजर्री के क्षेत्र में हुआ है. जटिल रोगों का इलाज भी आसानी से संभव हो सका है. मरीज समेत डॉक्टरों को भी इसका सीधा लाभ मिल रहा है. डॉ चिंतामणि शुक्रवार को टीएमएच के सजर्री डिपार्टमेंट की ओर से क्लीनिकल सजर्री अपडेट-2015 पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.

तीन दिवसीय सेमिनार के पहले दिन उन्होंने सजर्री पर चर्चा करते हुए विद्यार्थियों को गले में कैंसर के इलाज का तरीका बताया. उन्होंने कहा कि निकोटीन चबाने, खाने व सुंघाने से भी कैंसर हो जाता है. झारखंड में सबसे ज्यादा तंबाकू खाने वालों में कैंसर पाया जा रहा है.

कैंसर पर रिसर्च का विचार. डॉ चिंतामणि ने कहा कि टीएमएच के साथ मिलकर झारखंड में कैंसर पर रिसर्च करने के लिए विचार चल रहा है. उन्होंने कहा कि मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने व टावर के आसपास रहने से भी कैंसर हो सकता है. सेमिनार में छात्रों को गले में कैंसर वाले मरीजों को दिखाया गया. छात्रों को बताया गया कि कैसे जांच करनी है? और इसका इलाज कैसे करना है? सेमिनार में देश के कई मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट इन सजर्री कोर्स कर रहे सौ से ज्यादा विद्यार्थी भाग ले रहे हैं.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टाटा स्टील मेडिकल विभाग के जीएम जी रामदास, डॉ चिंतामणि, सीनियर डॉक्टर केपी दूबे व डॉ संतोष रावत ने संयुक्त रूप से सेमिनार का उद्घाटन किया. इस दौरान टीएमएच के सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ सुनील कुमार, डॉ अरूणिमा वर्मा, डॉ संजय कुमार, डॉ एनपी नारायण समेत अन्य मौजूद थे.

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