हेल्थ बुलेटिन 3 (असंपादित)

नोट- फोटो है. डॉ गोपी रमन कंठ, जनरल फिजिशियन जंगली जानवर के काटने पर लगाये एंटी रेबीज टीके लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर रेबीज की बीमारी को हाइड्रोफोबिया भी कहा जाता है. रेबीज की बीमारी जंगली जानवर जैसे कुत्ते, सियार, बंदर, चमगादड़ इत्यादि जानवरों के काटने से होती है. यह मनुष्य को तभी होता है तब जानवर खुद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2015 12:06 AM

नोट- फोटो है. डॉ गोपी रमन कंठ, जनरल फिजिशियन जंगली जानवर के काटने पर लगाये एंटी रेबीज टीके लाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर रेबीज की बीमारी को हाइड्रोफोबिया भी कहा जाता है. रेबीज की बीमारी जंगली जानवर जैसे कुत्ते, सियार, बंदर, चमगादड़ इत्यादि जानवरों के काटने से होती है. यह मनुष्य को तभी होता है तब जानवर खुद इस बीमारी से ग्रसित हो. उसके काटने के दौरान जानवर के लार से जिवाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. जिसके कारण यह बीमारी होती है. यह एक जानलेवा बीमारी है. रेबीज की बीमारी होने से देखा गया है कि मरीज को बुखार, जख्म का स्थान सुन हो जाना, 10 दिन के अंदर ही मरीज को पानी से डर का एहसास होने लगता है, शरीर का मांस सिकुड़ने लगता है, (डिलूजन्स व हेजूसिलेशन का एहसास), मनुष्य के व्यवहार में परिवर्तन आ जायेगा. जरुरी है कि बीमारी से बचाव के लिए किसी भी जंगली जानवर के काटने के प्रारंभ में ही एंटी रेबीज के टीके लगवाएं जाये. जंगली जानवर या फिर कुत्तों से सतर्क रहा जाये, यदि जंगली जानवर काट ले तो उस स्थान को पानी या फिर साबुन से जल्द से जल्द धोएं, व डॉक्टरी सलाह लें. बीमारी- रेबीजलक्षण- मरीज को बुखार, जख्म का स्थान सुन हो जाना, 10 दिन के अंदर ही मरीज को पानी से डर का एहसास होने लगता है, शरीर का मांस सिकुड़ने लगता है, (डिलूजन्स व हेजूसिलेशन का एहसास), मनुष्य के व्यवहार में परिवर्तन आ जायेगा. बचाव – किसी भी जंगली जानवर के काटने के प्रारंभ में ही एंटी रेबीज के टीके लगवाएं जाये. जंगली जानवर या फिर कुत्तों से सतर्क रहा जाये, यदि जंगली जानवर काट ले तो उस स्थान को पानी या फिर साबुन से जल्द से जल्द धोएं, व डॉक्टरी सलाह लें.

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