रंजीत प्रसाद सिंह
स्थानीय संपादक, प्रभात खबर, जमशेदपुर संस्करण
प्रभात खबर के जमशेदपुर संस्करण ने आज अपने पाठकों से मिले भरपूर प्यार कि बदौलत दो दशक का सफर पूरा कर लिया. कहने को महज यह एक आकड़ा या एक और साल पूरे हो जाने की तरह ही है, लेकिन यह एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी में प्रवेश करने जैसा भी है. इन दो पीढ़ियों के सफर के दौरान एक चीज जो लगातार हमारे साथ न सिर्फ बनी रही, बल्कि साल दर साल मजबूत भी होती रही, वह था अपने पाठकों का भरोसा. यह आपका भरोसा ही था जिसने हमारी कलम को ताकत दी, हमें जोखिम लेना सिखाया, जिसने आपके हक के साथ खड़ा रहने का हौसला दिया.
विभिन्न योजनाओं में घोटालों को उजागर करने का मामला हो, बीडीओ को माओवादियों की कैद से छुड़ाने का साहस हो या फिर गुड़ाबांदा की लुगनी को न्याय दिलाने की मुहिम, हमारे कदम कहीं नहीं रुके. झारखंड की लोकनृत्यों की तरह सौम्यता और सामूहिकता ही हमारी पूंजी है. हमें सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक मोरचे पर और अधिक सजग होने की जरूरत है, ताकि हम एक ऐसा राज्य गढ़ सकें, जिसमें सबकी आवाज सुनी जा सके, सबका आस्तित्व सुरक्षित हो और सबसे बड़ी बात की सबके पास समुचित विकास के उचित अवसर मौजूद हों. उन अवसरों को पैदा करने में राजनीतिक के साथ-साथ सामाजिक इच्छा शक्ति का भी होना जरूरी है.
एक सजग समाज ही सजग राजनीतिक परिवेश को गढ़ सकता है. इसलिए पत्रकारिता के साथ-साथ समाज के हर वर्ग का धर्म है कि वह आगामी खतरों को महसूस करे और उसके लिए खुद को समय रहते तैयार करे. चाहे वह पानी को लेकर खड़ा हो रहा संकट हो, अक्षय ऊर्जा के साधनों का पर्याप्त विकास ना हो पाने का मामला हो या फिर अपने संसाधनों के अधिकतम उपयोग से उत्पन्न हुई चुनौतियां हो, हमें सतर्क कर रही हैं ताकि हम अपने भविष्य की रक्षा कर सकें. अपनी आने वाली पीढ़ी को देने के लिए कुछ बचा कर रख सकें, इन्हें केंद्र में ला सकें. इसी उम्मीद के साथ कि हम भावी खतरे की आहट को महसूस करें और एकजुट हो इससे उबर सकें, अपने पाठकों का आभार.