जमशेदपुर: राज्य में सेल्फ फाइनांसिंग को लेकर कोई रेग्युलेशन नहीं होने की वजह सरकारी कॉलेजों में बीएड की पढ़ाई का मामला लटक गया है. इसका असर राज्य के गरीब छात्र-छात्राअों पर पड़ा है. अब तक ना ही किसी कॉलेज में न तो बीएड एडमिशन फॉर्म जारी हुआ है, अौर ना ही बीएड के प्रारूप की घोषणा हुई है. झारखंड के सभी सरकारी कॉलेजों में सत्र 2 महीने देर हो चुका है, जबकि प्राइवेट कॉलेजों में पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है. इस दिशा में सरकार ने अब तक बैठकों के अलावा कुछ भी नहीं किया है.
210 दिन का कोर्स होना है अनिवार्य
एनसीटीइ के गाइड लाइन के अनुसार किसी भी बीएड कॉलेज में किसी भी हाल में कुल 210 दिन क्लास होना अनिवार्य है. लेकिन राज्य के सरकारी बीएड कॉलेज पूर्व में ही दो महीना देर से चल रहे हैं. ऐसे में अगर पढ़ाई को लेकर अधिसूचना जारी भी होती िैं तो भी सत्र करीब 4 महीने देर हो जायेगा. इस बार तय हुआ है कि एक बीएड कॉलेज में कम से कम 16 शिक्षक जरूर हों.
वोकेशनल कोर्स के अंतर्गत हो रही थी बीएड की पढ़ाई
सरकार की अोर से भले सरकारी कॉलेजों में बीएड की पढ़ाई करवायी जा रही थी. लेकिन इसे लेकर सरकार की अोर से कोई क्लीयर कट रेग्युलेशन नहीं था. आज तक सरकार बीएड के विकास के बजाये वोकेशनल कोर्स के विकास के मद में ही फंड जारी करती रही है. अब तक बीएड को वोकेशनल कोर्स के अंतर्गत ही चलाया जा रहा था. लेकिन एनसीटीइ के दबाव की वजह से रेग्युलेशन बनाने को लेकर विचार किया जा रहा है.