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लौहनगरी में गूंजे मां के आगमनी गीत (हैरी)

लौहनगरी में गूंजे मां के आगमनी गीत (हैरी)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर महालया की पूर्व संध्या में सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में आगमनी गीत संध्या का आयोजन तुलसी भवन सभागार में किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ नर्मदेश्वर पांडेय द्वारा की गई. मुख्य वक्तव्य श्रीराम पाण्डेय थे. संयोजन साहित्य समिति की सदस्य ममता […]

लौहनगरी में गूंजे मां के आगमनी गीत (हैरी)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर महालया की पूर्व संध्या में सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में आगमनी गीत संध्या का आयोजन तुलसी भवन सभागार में किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ नर्मदेश्वर पांडेय द्वारा की गई. मुख्य वक्तव्य श्रीराम पाण्डेय थे. संयोजन साहित्य समिति की सदस्य ममता सिंह ने एवं संचालन वरुण प्रभात ने किया. मां दुर्गा की अराधना प्रारम्भ करते हुए श्रीराम पाण्डेय भार्गव ने मां के नौ रूपों तथा नौ दिनों की कथा का गीतात्मक वर्णन किया गया. नीलिमा पाण्डेय ने मां की शरणागति व आशीर्वचनों की अभ्यर्थना गीतात्मक प्रस्तुति दी. नुपूर गोस्वामी व परोमिता झा ने मां की अर्चना की.मंजू ठाकुर, ममता सिंह तथा ज्योत्सना अस्थाना ने मां की आगमन का निवेदन करते हुए सबों के सफल जीवन की कामना की. तबले पर दयानाथ उपाध्याय ने संगत दी. धन्यवाद ज्ञापन यमुना तिवारी ने किया. इस अवसर पर सरोज कुमार सिंह, यमुना तिवारी , वरुण प्रभात, डॉ संजय पाठक, ईश्वर चन्द्र द्विवेदी, अरुण कुमार , मदन अंजान, दिनेश्वर प्रसाद सिंह, गंगा प्रसाद , राजेन्द्र राज, उमेश चतुर्वेदी, प्रकाश चन्द्र, डॉ अजय अोझा, अरविन्द विद्रोही, दयानाथ उपाध्याय, मनोकामना सिंह, आनंद बाला शर्मा, प्रेमलता ठाकुर व जयंत कुमार श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे. ————–महालया आज, बंगाली घरों में गूंजेंगे वीरेंद्र कृष्ण भद्र के गीत पितृपक्ष का अंत अौर देवी पक्ष की शुरुआत का प्रतीक है महालया. कहते है कि महालया से देवी दुर्गा का आगमन धरती पर हो जाता है. बंगाली समुदाय में महालया का विशेष महत्व है. सोमवार को प्रात: काल में बंगाली समुदाय के हर घर में शंख ध्वनि गूंजेगी. पूज घरों की साज-सज्जा होगी. इसके साथ ही बंगाली घरों में वीरेंद्र कृष्ण भद्रेर चंडीपाठ एवं आगमनी गीत गूंजने लगेंगे. मां भवानी कालीबाड़ी के पंडित सह संस्थापक मोहित मुखर्जी ने बताया कि महालया की सुबह धरती लोक पर देवी के आगमन के बाद देवी दुर्गा का बोधन किया जाता है. इसमें प्रतिमा निर्माण करने वाले कलाकार चुख्यु दान (नेत्र दान) परंपरा को निभाते है. यानी, वे मां की प्रतिमा में नेत्र बनाते हैं. महालया जैसे शुभ दिन में मां की आराधना जरूर करें. प्रात: 5:30 बजे के पहले स्नानादि कर शंख ध्वनि से मां का आह्वान करें. फिर पूजा एवं आरती कर धरती लोक पर मां का स्वागत भक्ति भाव के साथ करें.

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